कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में लूट के मामले में लापरवाही बरतने पर दो थाने के टीआई के खिलाफ एएसपी ने कार्रवाई कर एक को लाईन अटैच किया तो दूसरे थाना प्रभारी के खिलाफ जांच बिठाई गई। दोनों ने लूट की वारदात में शिकायत न लिख कर पीड़ित को 20 घंटे से ज्यादा समय तक उलझाए रखा था। साथ ही एक थाने से दूसरे थाने के चक्कर लगवाए गए।

कानून में संशोधन होने के बाद नया एनडीपीएस कानून भले ही लागू हो चुका हो, लेकिन जबलपुर में इस पर अमल होते हुए नहीं दिख रहा। यही वजह है की लूट के शिकार एक पीड़ित दो थानों के बीच FIR कराने के लिए घंटों भटकता रहा। आखिरकार थक हारकर पीड़ित एसपी के पास पहुंचा जिसके बाद एसपी ने दोनों थानों के टीआई के खिलाफ कार्रवाई की। दरअसल, जबलपुर के भेड़ाघाट थाना अंतर्गत पीड़ित अपने घर जा रहा था तभी कुछ अज्ञात बदमाशों ने उसे शराब पीने के लिए पैसे मांगे। जब उसने पैसे देने से इनकार कर दिया। तो उसके साथ लूट की घटना को अंजाम दे दिया गया।

सारी ताकत लगाकर BJP कैबिनेट मंत्री को नहीं जिता सकी! नेता प्रतिपक्ष ने X पर लिखा- विजयपुर में बीजेपी की करारी हार

इसके बाद रविवार रात पीड़ित घटना स्थल के करीब भेड़ाघाट थाने पहुंचा और उसने मामले की शिकायत दर्ज करना चाही। लेकिन भेड़ाघाट थाना पुलिस ने उसे संजीवनी नगर थाने भेज दिया। जब पीड़ित संजीवनी नगर थाने पहुंचा तो उसे एरिया का हवाला देते हो वापस भेड़ाघाट थाना रवाना कर दिया गया। जब पीड़ित फिर भेड़ाघाट थाने पहुंचा तो उसे फिर से एरिया का हवाला दिया गया और वापस संजीवनी नगर थाने भेज दिया। इस तरह पीड़ित करीब 24 घंटे तक अपनी एफआईआर के लिए इधर से उधर दोनों थानों के बीच में झूलता रहा। आखिर पीड़ित एसपी के पास पहुंचा जिसके बाद एसपी ने तत्काल संजीवनी नगर थाना टीआई को लाइन अटैच कर दिया। वहीं भेड़ाघाट थाना टीआई के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।

कहां गायब हो गया ‘भोपाल का महेश’ ? ‘मन की बात’ कार्यक्रम में PM Modi ने की तारीफ, अब ढूंढ रही पुलिस

क्या कहता है नया कानून
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से प्रभावी हो गए हैं। इन कानून ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। भारतीय दंड संहिता से लेकर भारतीय न्याय संहिता तक में बदलाव किए गए हैं। नए बदलाव के तहत इलेक्ट्रानिक कम्युनिकेशन के जरिए भी सूचना FIR लिखी जा सकेगी। अगर ई-FIR दर्ज करवाई जाती है तो तीन दिन के भीकर पीड़ित को थाने जाना होगा। वहीं कानून में हुए नए संशोधन के तहत एनडीपीएस कानून का नियम यह कहता है कि किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी तरह का अपराध या घटना होने पर वह किसी भी नजदीकी थाने में FIR करा सकता है। फिर उस FIR को संबंधित थाने में 15 दिन के अंदर भेजा जा सकता है।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m