Sambhal Shahi Jama Masjid survey dispute. संभल हिंसा मामले में दो थानों में 7 मुकदमे दर्ज हुए हैं. जिसमें सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और स्थानीय सपा विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे नवाब सुहैल इकबाल को भी आरोपी बनाया गया है. इन पर दंगाइयों को भड़काने का आरोप है. अब एफआईआर पर जियाउर्रहमान बर्क की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने पुलिस पर शासन के इशारे पर हिंसा कराने का गंभीर आरोप लगाया है.

सांसद ने कहा कि ‘संभल में पुलिस प्रशासन ने जो घटना को अंजाम दिया है, उसने पूरी मानवता को झकझोर कर रख दिया है और प्रदेश और देश की छवि को धूमिल किया है. कल मैं प्रदेश में भी मौजूद नहीं था, संभल तो दूर की बात है, मैं इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में भाग लेने के लिए बेंगलुरु गया था, लेकिन मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया.’

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उन्होंने आगे कहा कि ‘यह पुलिस प्रशासन की साजिश है. जब जनता को पता ही नहीं है कि आप कब सर्वे के लिए आ रहे हैं, तो वे कौन सी साजिश करेंगे? साजिश के तहत उन्होंने हथियारों का इस्तेमाल किया है, उन्होंने हमारे 5 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी है, कई अन्य घायल हैं, झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है. मैं चाहता हूं कि इन अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए और उन्हें सलाखों के पीछे डाला जाए”

यहां से शुरु हुआ पूरा बवाल

दरअसल, 24 नवंबर को संभल जिले की जामा मस्जिद को हिंदू पक्ष द्वारा अदालत में हरिहर मंदिर बताए जाने के बाद कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इसके सर्वे के आदेश दिया. उसी सर्वे के लिए दिन निकलते ही एकदम सुबह एडवोकेट कमिश्नर की टीम पहुंची थी. टीम के साथ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एडवोकेट विष्णु शंकर जैन, डीएम डॉ राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई भी भारी पुलिस बल के साथ जामा मस्जिद पहुंचे थे. तनाव को देखते हुए आसपास के इलाके में RRF, PAC और स्थानीय पुलिस के जवानों को लगाया गया था. मस्जिद को जाने वाले हर रास्ते पर पहरा बैठाया गया था. टीम 24 नवंबर, रविवार सुबह करीब साढ़े 7 बजे पहुंची तो कुछ देर तो सब शांत ही था. लगा हालात बेहतर हैं. पुलिस अधिकारी भी निश्चिंत हो चले थे कि एकाएक 9 बजे के करीब अचानक से आक्रोशित लोगों की भीड़ मौके पर पहुंच गई और फिर पुलिस पर पत्थरबाजी शुरु कर दी.