Rajasthan News: जयपुर. राजस्थान में चीता कॉरिडोर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. राज्य सरकार ने इस साल की बजट घोषणा के तहत धौलपुर से रावतभाटा तक लगभग 400 किलोमीटर लंबे वन क्षेत्र में चीता कॉरिडोर विकसित करने का प्रस्ताव रखा है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लागू करने के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश के वन विभाग के अधिकारियों की संयुक्त बैठक रणथंभौर में आयोजित की जाएगी.

चीतों के संरक्षण पर चर्चा और एमओयू पर फैसला

बैठक में दोनों राज्यों के अधिकारी चीतों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास को बेहतर बनाने पर चर्चा करेंगे. राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर सहमति बनने की संभावना है, जिससे इस परियोजना को अमलीजामा पहनाने का रास्ता साफ होगा.

वन्यजीवों की मौजूदगी और संभावनाएं

वन विभाग के अनुसार, धौलपुर जिले के डांग क्षेत्र में वर्तमान में 4-5 चीतों का मूवमेंट दर्ज किया गया है. इनमें एक मादा और उसके तीन शावक शामिल हैं. इसके अलावा, इस क्षेत्र में 10 से अधिक पैंथर, भालू, जरख, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी और अजगर जैसे वन्यजीव भी सक्रिय हैं. धौलपुर जिले को पहले ही सेंचुरी एरिया घोषित किया जा चुका है, और यह क्षेत्र वन्यजीवों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है.

पर्यटन और जैव विविधता को मिलेगा बढ़ावा

चीता कॉरिडोर परियोजना से न केवल चीतों की संख्या में वृद्धि होगी बल्कि अन्य वन्यजीवों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा, यह परियोजना क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास में योगदान देने का एक महत्वपूर्ण साधन बन सकती है.

रणथंभौर में बैठक के मुख्य बिंदु

29 नवंबर को रणथंभौर में आयोजित होने वाली बैठक में वन्यजीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय, एपीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) राजेश गुप्ता समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे. बैठक में एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर एमओयू का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा.

पिछली बैठकें और आगे की योजना

अब तक राजस्थान और मध्य प्रदेश के अधिकारियों के बीच इस मुद्दे पर दो बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अंतिम निर्णय नहीं लिया गया. इस बार विशेषज्ञों की उपस्थिति में चीतों के पुनर्वास और उनके सुरक्षित भविष्य को लेकर ठोस योजना बनाने पर जोर दिया जाएगा.

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