(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

अंतिम पंक्ति की ओर बैठे विधायकजी

मध्य प्रदेश सहित तीन राज्यों में हुए चुनाव के बाद शीर्ष पदों के लिए पिछली पंक्ति से नेता क्या चुने गए, पूरे देश में चर्चा चल पड़ी है कि आने वाले समय में बीजेपी में बाद या अंतिम पंक्ति में बैठने वालों का भविष्य सुनहरा ही है। पिछले दिनों बीजेपी कार्यालय में हुई कार्यशाला के बीच एक विधायक जी यह वाक्या दोहरा बैठे। जब विधायकजी बैठक में शामिल होने के लिए सभागार में पहुंचे तब पहली से लेकर चौथी पंक्ति तक कई कुर्सियां खाली थीं, लेकिन इनको छोड़ते हुए विधायकजी काफी पीछे जाकर बैठ गए। बैठक के समापन पर कई नेता यह कहते हुए नजर आए कि संगठन के चुनाव चल रहे हैं, विधायकजी को पीछे की पंक्ति से कुछ उम्मीद है।

इसकी बात उसके सिर, उसकी बात इसके सिर

मध्य प्रदेश की एक प्रमुख पार्टी के कार्यालय में कुछ दिनों से बड़ा अजीब सा ही दौर चल रहा है। कार्यालय में मौजूद रहने वाले तीन से चार नेताओं का काम ही इसकी बात उसके सिर और उसकी बात इसके सिर करना होता है। इन नेताओं की इस करतूत से नुकसान पार्टी को तो हो रही रहा है, साथ ही विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि ये नेतानगरी इधर की बात उधर और उधर की बात इधर करने के साथ खुद के लिए इतना वक्त जरूर निकाल लेती है कि टीवी पर चमक सकें।

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कांग्रेस में लामबंदी और भाई को संपट नहीं सूझ रही

कांग्रेस संगठन में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कारण यह कि नई बिल्डिंग में नए कमरे बने। फिर लंबे अरसे के बाद इन कमरों में बैठने वाले नेताओं की जिम्मेदारी भी तय की, कार्यकारणी की घोषणा भी हुई। लेकिन नेताओं की पीसीसी से दूरी ही नजर आ रही है। बीते कुछ दिनों से तो कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ताओं ने तक पीसीसी में आमद दर्ज करना ही बंद कर दिया है। सुना है अधिकाशं प्रवक्ता तो अब टीवी चैनलों की डिबेट से भी कन्नी काट रहे हैं। मीडिया विभाग में कई धड़ हो चुके हैं। तो कुछ पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के आगमन पर ही प्रदेश कार्यालय के आंगन में दिखाई देते हैं। कमलनाथ सरकार में जो सीनियर प्रवक्ता दमदार थे, ज्यादातर अब नाराज हैं। हालत ऐसे कि किसकी कौन सुने, लिहाजा लिफाफों में शिकायत हो रही हैं। लेकिन, भाई को संपट ही सूझ रही है। हैं न गजब…

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बाबा जी ने उड़ा दी मंत्रीजी की नींद..

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की यात्रा सुर्खियों में रही। प्रदेश क्या, देश-दुनिया की नजर बाबा जी की यात्रा पर रही। बीजेपी के साथ कांग्रेस के भी नेता बाबा जी के साथ चले। हालांकि बाबा जी ने किसी को यात्रा में शामिल होने का आमंत्रण नहीं भेजा था। बाबाजी की यात्रा में जो आए स्वागत न आए तो प्रेम से नमस्ते। लेकिन, नेता नगरी तो आप जानते ही हैं। अपनी आने की खबर भी फैला देते हैं। इनकी भनक जैसे ही महाराज के एक करीबी को लगी तो चर्चा भी हुई। फिर क्या उन्हें आने से ही इनकार कर दिया। वैसे बताया जा रहा है कि मंत्रीजी को आयतों को अच्छा ज्ञान है। सुर्खियों में भी रहते हैं। सुना है बाबाजी की न से मंत्री जी की नींद उड़ गई है।

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