रायपुर. भूपेश सरकार की बजट को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा कि जनता के साथ वादाखिलाफी किया गया है. अमित जोगी ने कहा कि LIBOR दर पर आधारित एडीबी से लिए जा रहे क़र्ज़े की तीसरी किश्त भविष्य की पीढ़ी के लिए घातक सिद्ध होगी. लगातार कमज़ोर होते रुपए की जगह डॉलर में ऋण अदायगी की शर्त के कारण सरकार को ऋण चुकाने के लिए अब लगभग 17 हजार करोड़ अतिरिक्त ऋण लेना पड़ेगा, जो कि सरासर नाइंसाफ़ी है. करनी और कथनी में भारी अंतर है. भूपेश करना तो बहुत कुछ चाहते थे पर उसको करने के लिए सही नीति और सही नियत का मानसिक और वैचारिक अभाव है.

भूपेश के बजट में जनता कांग्रेस ने गिनाएं ये 7 वादाखिलाफ़ी

  • किसानों की क़र्ज़ माफ़ी को लेकर सरकार का “एक नवजात शिशु की तरह क़दम उठाना” बेहद निराशाजनक है. दस दिनों में सम्पूर्ण कर्ज माफ़ी की घोषणा करने वाली सरकार की ये पहला वादाखिलाफ़ी है. 40,0000 करोड़ के व्यावसायिक बैंकों से लिए क़र्ज़े के विरुद्ध मात्र 5000 करोड़ का प्रावधान ऊँट के मुँह में ज़ीरा. आरबीआई के अनुसार बजट में प्रदेश के कृषकों के 72% ऋण-मध्यकालीन और दीर्घक़ालीन ऋण- माफ़ करने का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है.
  • जनघोषणा पत्र के अनुरूप शराबबंदी और बेरोज़गारी भत्ता के लिए एक लाख करोड़ के बजट में एक का प्रावधान न करना. साफ़ दिखता है कि सरकार को शराब माफ़िया ने ख़रीद लिया है.
  • पुलिस कर्मियों को जीवन बीमा और साप्ताहिक छुट्टी न देना, पंचायत सचिव, कोटवार, रोज़गार सहायक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, ग्राम पटेल और रसोईया के नियमितिकरण का बजट में कोई प्रावधान नहीं रखना.
  • प्रदेश के 85% उपभोक्ता 400 यूनिट बिजली प्रतिमाह से अधिक की खपत करते हैं. उनको बिजली बिल हाफ़ का कोई फ़ायदा नहीं. हर साल 209 करोड़ यूनिट बिजली की घटौति (डेफ़िसिट) होने के बावजूद बिजली उत्पादन क्षमता 1 यूनिट भी बढ़ाने का प्रावधान नहीं करना.
  •  स्टेट जीएसटी, पेट्रोल और डीज़ल पर वैट और बिजली शुल्क की वसूली में कटौती न करना. ऐसा न करके सरकार ने प्रदेश में नए उद्योगों (जो कि राज्य की अर्थव्यवस्था को सबसे ज़्यादा कर देते हैं) के खुलने का और जीडीपी बढ़ाने का रास्ता बंद कर दिया.
  • रमन सरकार ने भूमि-अधिग्रहण की दर आधा (मार्केट दर से चार से दो गुना करने का निर्णय) कर दी थी. इसे यथावत न रखना.
  • सरकार द्वारा आउट्सॉर्सिंग नीति पर स्पष्ट रूप से रोक न लगाना, स्वास्थ एवं शिक्षा सेवाओं में 23,456 रिक्त पदों में भर्तियाँ न करना.