Rajasthan News: राजस्थान से बाप पार्टी के संयोजक और सांसद राजकुमार रोत ने शुक्रवार को संसद के शीतकालीन सत्र में आदिवासियों के अधिकारों और उनकी समस्याओं पर जोरदार आवाज उठाई। उन्होंने वर्तमान और पूर्ववर्ती सरकारों पर आदिवासी समाज के प्रति उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
आदिवासियों से सीखें लोकतंत्र
संसद में अपने संबोधन के दौरान राजकुमार रोत ने जयपाल सिंह मुंडा का हवाला देते हुए कहा कि आदिवासियों को लोकतंत्र सिखाने की जरूरत नहीं है, बल्कि उनसे लोकतंत्र सीखना चाहिए। उन्होंने आदिवासी समाज की पारंपरिक व्यवस्था—ग्रामसभा, मुखिया और सामुदायिक निर्णय प्रणाली की तारीफ की और कहा कि संविधान निर्माताओं ने भी आदिवासी समाज के इन प्राचीन लोकतांत्रिक तौर-तरीकों से प्रेरणा ली थी। उन्होंने चेतावनी दी कि वर्तमान तानाशाही प्रवृत्तियां लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं।
आदिवासियों के बलिदान को किया जा रहा अनदेखा
सांसद रोत ने जल, जंगल और जमीन को आदिवासी जीवन का आधार बताते हुए कहा कि आज यह आधार खत्म किया जा रहा है। उन्होंने आदिवासी समाज के बलिदानों की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि भारत की आजादी में सबसे ज्यादा कुर्बानी आदिवासियों ने दी है। बावजूद इसके, उनके योगदान और अधिकारों को लगातार अनदेखा किया जा रहा है।
राजस्थान सरकार पर गंभीर आरोप
सांसद ने राजस्थान सरकार की हालिया नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि गैर-आदिवासियों को एसटी एस्टेट की जमीन खरीदने की अनुमति देना आदिवासी अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 1957 के वेदांता जजमेंट और 2013 के रामा रेड्डी केस का जिक्र करते हुए कहा कि इन फैसलों को लागू करने में लापरवाही हो रही है।
राजकुमार रोत ने सरकार से आग्रह किया कि वह आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करे और उनकी जमीन, संस्कृति और परंपराओं को सुरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समाज को केवल सहानुभूति की नहीं, बल्कि उनके अधिकार दिलाने की जरूरत है।
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