पुलवामा आंतकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए. इस घटना के बाद जहां पूरे देश के लोगों में गुस्सा और दुख है. वहीं शहीदों के परिवारवाले भी गुस्से में हैं. वे अब इस शहादत का बदला पाकिस्तान और आंतकियों से चाहते हैं.
नई दिल्ली. पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में देश के 40 जवान शहीद हो गए. गुरुवार देर रात शहादत की खबर मिलने के बाद से परिवारीजनों का जहां रो-रोकर बुरा हाल है, वहीं इस कायराना हरकत को लेकर आक्रोश भी है. कोई जल्द घर लौटने का वादा करके गया था तो कोई अपनों के साथ बिताए यादगार लम्हों की यादें समेट ले गया…पर किसी को क्या पता था कि देश के जांबाजों का अपने परिवार के साथ बिताया गया वह लम्हा आखिरी याद साबित होगा. परिजनों को जब अपनों की शहादत की खबर मिली तो उनके दिलों में गुस्सा और आंखों में गुस्सा नजर आया.
उत्तर प्रदेश के चंदौली निवासी अवधेश कुमार यादव आंतकी हमले में शहीद हो गए. उनकी शहादत की खबर मिलते ही बहादुरपुर गांव इलाके के बाजार बंद हो गए. सीआरपीएफ की 45 बटालियन के रेडियो सिग्नल ऑपरेटर अवधेश कुमार यादव के घर बटैलियन के अधिकारियों द्वारा उनके शहीद होने की सूचना आई तो कोहराम मच गया. अवधेश यादव की माता मालती देवी कैंसर से पीड़ित हैं. 60 वर्षीय हरिकेश यादव ने कहा कि हमें अब इस आतंकी हमले का बदला चाहिए. एक जवान के शव के बदले दो शव चाहिए.
पिता ने जूस बेचकर शहीद बेटा को पढ़ाया था
बहुत जतन से रतन को पाला था, मजदूरी की, सावन में जूस बेचा…कपड़े की फेरी की. उसे पढ़ाया-लिखाया. 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ. पहली पोस्टिंग गढ़वा में हुई. धीरे-धीरे दुख कम होने लगा. एक ही होनहार सपूत था मेरा, वह भी भारत माता की रक्षा में शहीद हो गया. अब किसके सहारे जीएंगे…आतंकियों को भगवान कभी माफ नहीं करेंगे… (यह कहते हुए वह फफक पड़े) गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे रतन (शहीद रतन कुमार ठाकुर) ने अपनी पत्नी राजनंदनी को फोन किया था. उसने कहा था- श्रीनगर जा रहे हैं, वहां शाम में पहुंचे जाएंगे, इसके बाद बात करेंगे. शाम 4 बजे वहां उसके ऑफिस से फोन आया और रतन का मोबाइल नंबर लिया. शंका हुई कि कहीं कुछ हुआ तो नहीं… फिर छोटी बेटी नीतू से बोले कि जरा टीवी ऑन करो.
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टीवी पर आतंकी हमले की खबर चल रही थी, यह देखकर दिल बैठने लगा. रतन के बारे में जानने के लिए वहां के कमांडर को फोन मिलाए. लेकिन उन्होंने कहा कि अभी कुछ नहीं बता सकते हैं. कुछ कंफर्म होगा तो बताएंगे. अब तो कोई फोन ही नहीं उठा रहा है. रतन का मोबाइल ऑफ बता रहा है. (यह बोलते हुए वह शहीद के पिता सिसकने लगे). हादसे के बाद बिहार के भागलपुर पहुंचे शहीद के शव को देखकर पिता फफक कर रो पड़े. पिता इतने गुस्से में है कि उन्होंने का कि इस शहादत का बदला सरकार ऐसा ले कि पाकिस्तान में बकरी का बच्चा भी नहीं बचना चाहिए. जरूरत पड़ी तो वे खुद भी हमले के लिए बार्डर पर जाने के लिए तैयार है.
…कहा था जल्द ही दोबारा छुट्टी लेकर आऊंगा
कन्नौज के तिर्वा क्षेत्र में रहने वाले शहीद प्रदीप सिंह की 2005 में नीरजा से शादी हुई थी. वह पिछले महीने छुट्टी पर आए थे और 10 फरवरी को ही ड्यूटी पर लौटे थे. प्रदीप ने गुरुवार सुबह नीरजा से फोन पर बात की थी. उन्होंने कहा था कि जल्दी ही दोबारा छुट्टी पर आऊंगा. देर रात प्रदीप की शहादत की खबर मिलने के बाद दुखों का सैलाब आ गया, प्रदीप की 10 साल की बेटी सौम्या सहमी हुई है. किसी से कुछ नहीं बोल रही. सौम्या की गोद में उसकी ढाई साल की बहन सोना है. अक्सर दोनों तब रो पड़ती हैं, जब मां की चीत्कार बाहर तक सुनाई पड़ती है.
बेटा बोला, ‘मम्मी, पापा से बात कराओ’
कानपुर देहात जिले के रैंगवा गांव के श्यामबाबू हमले में शहीद हुए हैं. डेरापुर थानाक्षेत्र के श्यामबाबू ने 2007 में सीआरपीएफ जॉइन की थी. घर की मरम्मत कराने आए श्यामबाबू छुट्टियां खत्म होने के बाद 10 फरवरी को ही ड्यूटी पर लौटे थे. परिवार में मां कैलाशी देवी के अलावा पत्नी रूबी, 4 साल का बेटा लकी और 5 महीने की बेटी आरुषि है. बेटा रोज पापा से फोन पर बात करता था. वह मम्मी से बोला, ‘पापा को फोन करो, बात करनी है’ उसे नहीं पता कि अब उसके पापा उससे कभी बात नहीं करेंगे.
फोन कहा सब बढ़िया, और फिर….
हमले में शहीद हुए उन्नाव के रहने वाले सीआरपीएफ बटालियन 115 के सिपाही अजीत कुमार आजाद 10 फरवरी को एक महीने की छुट्टियां बिताकर वापस कैंप लौटे थे. घर पर पत्नी मीनादेवी व 2 बेटियां ईशा (10) व श्रेया (7), मां-बाप व भाई-बहन जॉइंट फैमिली में रहते हैं. अजीत 5 भाइयों में सबसे बड़े थे. गुरुवार शाम आतंकी हमले में बेटे के शहीद होने की खबर से परिवार में मातम छा गया. घर के बाहर भीड़ ने पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की. पिता ने बताया कि दोपहर 11:30 पर बेटे से बात हुई थी. रास्ते मे होने की जानकारी दी थी और कहा था कि सब बढ़िया है. कुछ ही मिनटों में सब बिखर गया.
उसी बेदर्दी से लिया जाए बदला
आतंकी हमले में शहीद हुए प्रयागराज के मेजा थाना क्षेत्र स्थित टुडीहार बदल का पुरवा गांव निवासी महेश कुमार यादव (26) के गांव में मातम के साथ गुस्सा भी है, गांव के लोग महेश को सोनू और ‘हीरो’ के नाम से पुकारते थे, क्योंकि वह सिर्फ अपने परिवार ही नहीं समाज के लिए जीते थे. हर किसी की मदद करना स्वभाव था, इसलिए वे चाहते हैं कि शहादत का बदला उसी बेदर्दी से लिया जाए जैसा जवानों के साथ किया गया. महेश के चाचा सुशील कुमार ने बताया कि महेश शुरू से ही देश की सेवा करना चाहते थे. पिता राजकुमार मुम्बई में ऑटो चलाते हैं. इसलिए महेश परिवार के लिए भी कुछ करना चाहते थे. शहादत की खबर मिलने के बाद सोनू की पत्नी संजू का रो-रोकर हाल-बेहाल है. दोनों बच्चे समर (6) और साहिल (5) तो यह समझ ही नहीं पा रहे कि लोग रो क्यों रहे हैं, उन्हें तो अब भी पापा का इंतजार है.
बदला चाहती हैं शहीद की पत्नी
सीआरपीएफ जवान विजय मौर्य देवरिया के रहने वाले थे. उनकी पत्नी लक्ष्मी ने कहा है कि हमारा तो सब कुछ खत्म हो गया मगर हमें अपने पति की शहादत पर गर्व है. विजय की पत्नी और पिता ने कहा कि बयानबाजी बंद कर पाकिस्तान से बदला लेना चाहिए. तभी शहीदों की आत्मा को शांत मिलेगी. वहीं शहीद के पिता रामनरायण मौर्या ने भी सरकार से अपने बेटे समेत अन्य सैनिकों के बलिदानों का बदला लेने की मांग की.
शहादत पर गर्व, पर चाहिए आतंकियों से बदला
आतंकी हमले में शहीद हुए महराजगंज जिले के पंकज त्रिपाठी की शहादत पर पिता को गर्व है पर वह पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई चाहते हैं. पंकज त्रिपाठी की शहादत की खबर पर भीड़ गांव में जुट गई. उधर, शहीद की पत्नी रोहिणी का रो-रोकर बुरा हाल है. ओमप्रकाश त्रिपाठी के बड़े बेटे पंकज 2012 में सीआरपीएफ में कॉन्स्टेबल चालक के पद पर नियुक्त हुए थे. पंकज की 3 बहनें हैं जिनकी शादी हो चुकी है. पंकज बीते रविवार को ही छुट्टी से वापस लौटे थे. उनके पिता ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है, उन्हें अब अब सैनिकों की शहादत का बदला चाहते हैं.
खत्म करें पाकिस्तान और आतंकवाद
मैनपुरी के रामवकील माथुर की शहादत से हर कोई गम में डूबा हुआ है. परिवार के साथ-साथ जनता भी पाकिस्तान व आतंकवाद दोनों को खत्म करने की मांग कर रही है. मैनपुरी के करहल तहसील के थाना बरनाहाल के गांव विनायकपुर में सन्नाटा पसरा हुआ है. विनायकपुर गांव के रामवकील की बहादुरी के किस्से लोग सुनाते नहीं थक रहे. शहीद रामवकील की पत्नी गीता देवी और उनके बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है. रामवकील अभी 10 फरवरी को ही छुट्टी से वापस गए. वह अपनी पत्नी से वादा कर गए थे कि लौट कर अपना मकान बनवाएंगे.
देश ऐसा कुछ करे की थर्रा जाए पाकिस्तान
आतंकी हमले के बाद वाराणसी से आवाज उठी है कि पाकिस्तान में घुसकर इस हमले का बदला लिया जाना चाहिए. यह ललकार किसी और कि नहीं, वाराणसी के रमेश यादव के परिवार की है जो आंतकी हमले में शहीद हुए हैं. शहीद के पिता श्याम नारायाण ने कहा, ‘मेरे बेटे ने छाती चौड़ी कर दी. ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए कि पाकिस्तान दोबारा ऐसी हरकत करने की सोच भी न सके’ चौबेपुर के तोहफापुर गांव के रहने वाले रमेश सीआरपीएफ की 61 वीं बटैलियन में तैनात थे. हमले से कुछ देर पहले रमेश ने पत्नी रेनू से फोन पर बात की थी. बताया था कि जम्मू कैंप से श्रीनगर जा रहे हैं और वहां पहुंचकर फिर बात करेंगे.
खून का बदला खून से लिया जाए
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद होने वाले सीआरपीएफ जवानों में आगरा के कहरई गांव के किसान गीताराम के बहादुर बेटे कौशल किशोर रावत (48) का नाम भी शामिल है. वह सीआरपीएफ में नायक के पद पर 115 बटैलियन में सिलिगुड़ी में तैनात थे. पिछले दिनों कौशल का तबादला जम्मू हो गया था. कौशल की नई बटैलियन में जॉइनिंग गुरुवार को ही होनी थी. पत्नी ममता और छोटे बेटे विकास से आखिरी बार कौशल की मुलाकात 11 फरवरी को हुई थी. शहीद की पत्नी ममता और बेटा विकास-बेटी अपूर्वा गुरुग्राम से कहरई गांव पहुंचे तो हाहाकार मच गया. परिवार सहित पूरा गांव ही शोक में डूबा है. बेटी अपूर्वा सबसे बड़ी है. उसकी शादी हो चुकी है. बड़ा बेटा अभिषेक रूस से एमबीबीएस कर रहा है. छोटा बेटा विकास गुरुग्राम में ही मां के साथ रहता है. वह 12 वीं कर रहा है. पिता की शहादत पर बेटा बोला खून का बदला खून से लिया जाए.
पाकिस्तान को दिखा दी जाए उसकी हैसियत
शामली के बनत में रहने वाले वाले प्रदीप कुमार प्रजापति चार दिन पहले भाई की शादी में शामिल हुए थे. वह दो दिन पहले ही गाजियाबाद से कश्मीर लौटे थे. सीआरपीएफ की 21 बटैलियन में तैनात प्रदीप के शहीद होने की सूचना मिलते ही शोक छा गया है. सैंकड़ों लोग शहीद जवान प्रदीप के घर पर जमा हो गए. पत्नी कामिनी के अलावा प्रदीप के दो बेटे सिद्धार्थ (15), चीकू (14) हैं. शामली शुगर मिल से रिटायर्ड प्रदीप के पिता जगदीश प्रजापति के भीतर गुस्सा इस कदर है कि बोले, अब समय आ गया है, पाकिस्तान को उसकी हैसियत के हिसाब से समझा दिया जाए.
‘बेटे को सेना में भेजकर लूंगी पति की शहादत का बदला’
पुलवामा हमले में ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के प्रसन्ना साहू भी शहीद हो गए. उनके परिवार में मातम का माहौल है. पत्नी मीना अपने घर के एक कोने में बैठी हुई हैं, उनका चेहरा आंसुओं से सराबोर है, लेकिन उनके वह अपने 16 साल के बेटे की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, ‘मेरे पति की जो ड्यूटी अधूरी रह गई है उसे पूरा करने के लिए जगन सीआरपीएफ में शामिल होगा’ प्रसन्ना (48) सीआरपीएफ की 61वीं बटालियन के हेड कॉन्स्टेबल थे. आंतकी हमले में जान गंवाने के बाद उनकी पत्नी मीना (44) और बेटे जगन (16) और बेटी रोनी (18) का रो-रोकर बुरा हाल है.
दूसरे बेटे को भी सेना में भेजूंगा
‘मैं अपना एक बेटा खो चुका हूं, दूसरे को भी मातृभूमि की खातिर मर-मिटने के लिए भेजूंगा लेकिन पाकिस्तान को करारा जवाब मिलना चाहिए’ ये शब्द हैं बिहार के भागलपुर के उस पिता के जिन्होंने अपने नौजवान बेटे रतन ठाकुर को आतंकी हमले में खो दिया है. पिता को जब अपने बेटे की शहादत की खबर मिली तो वह बेसुध हो गए. वह बोले, ‘मैं देश की मातृभूमि की सेवा में एक बेटा खो चुका हूं. मैं अपने दूसरे बेटे को भी मातृभूमि की खातिर लड़ने और कुर्बान होने को तैयार रहने के लिए भेजूंगा लेकिन पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब मिलना चाहिए.’