RPF Latest News: प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के रायपुर रेल मंडल में इन दिनों रेलवे बोर्ड के नियमों के विपरित ट्रेनों में स्कार्टिंग कराई जा रही है. ये स्कार्टिंग आरपीएफ के उच्च पदस्थ अधिकारियों के निर्देश पर हो रही है. यानी ये आरपीएफ के कमांडेंट का स्कैल सुपरविजन माना जाएगा ? लेकिन सवाल ये है कि ट्रेनों में हो रही यात्री सामान की चोरी के एवज में उनकी सैलरी कौन काटेगा ? या आईजी उन्हें चार्टशीट देंगे ?

दरअसल रायपुर रेल मंडल में इन दिनों 1 अधिकारी और 4 स्टॉफ के स्थान पर महज 2 स्टॉफ से ट्रेनों में स्कार्टिंग कराई जा रही है. इसमें भी यदि ट्रेन में यदि किसी यात्रा के सामान चोरी होने की एफआईआर दर्ज हो गई तो माने रायपुर रेल मंडल के कमांडेंट उनका वेतन जरूर काटेंगे. लेकिन अब रायपुर रेल मंडल के सूत्रों का कहना है कि यदि ट्रेनों में चोरियां हो रही है और नियमों के विपरित यदि स्कार्टिंग कराया जा रहा है तो ये आरक्षक से लेकर इंचार्ज और इसंचार्ज से लेकर डीएससी का स्लैक सुपरविजन है और यदि वेतन कटना चाहिए तो सभी का.

लल्लूराम डॉट कॉम को सूत्रों से पुख्ता जानकारी मिली है कि रायपुर रेल मंडल के दो इंस्पेक्टरों की सैलरी कटी है. इसके अलावा करीब आधा दर्जन आरक्षकों की सैलरी भी कटी है. लेकिन सवाल ये है कि यदि नियमों के विपरित ट्रेनों में स्कार्टिंग कराई जा रही है तो ये स्लैक सुपरविजन नहीं है ? और जब इंचार्ज और आरक्षक इसके लिए जिम्मेदार है तो कमांडेंट क्यों नहीं ?


स्टॉफ बोले- जब चोरी होने वाला व्यक्ति को नहीं पता चला कि उसका सामान चोरी हो रहा है तो उन्हें कैसे पता चलेगा ?

लल्लूराम डॉट कॉम से बात करते हुए एक सूत्र ने कहा कि किसी भी यात्री का सामान चोरी होना चिंताजनक है और आरपीएफ लगातार ऐसे गिरोह को पकड़कर जीआरपी को हेंडओवर करती है. लेकिन यात्री का सामान चोरी होना और इसके एवज में उनकी सैलरी काटना सबसे ज्यादा चिंताजनक है. क्योंकि जिस ट्रेन में अधिकारी 2 स्टॉफ से स्कार्टिंग करा रहे है वो कैसे हर यात्री की सामान की सुरक्षा कर सकते है. एक स्टॉफ ने तो यहां तक कह दिया कि यदि चोरी रोकने का कोई तरीका कमांडेंट के पास मौजूद है तो वे स्टॉफ को बता दें वे वैसे ही चोरी रोकेंगे. स्टॉफ का कहना है कि यदि यात्री का सामान चोरी हो रहा है और उन्हें ही पता नहीं चल रहा है तो भला आरपीएफ आरक्षक को कैसे पता चलेगा कि किसका सामान चोरी हो रहा है.

इस संबंध में रायपुर रेल मंडल के आरपीएफ कमांडेंट का पक्ष लेने उन्हें फोन किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.