हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर के शासकीय दंत चिकित्सालय महाविद्यालय में अब प्रिंसिपलों का विवाद खुलकर सामने आ गया है। दरअसल डॉक्टर अलका गुप्ता और डॉ संध्या जैन दोनों ही अब दंत चिकित्सालय महाविद्यालय की प्रिंसिपल बने रहने के लिए अड़ी हुई हैं। एक तरफ 31.08 2023 से पदस्थ डॉक्टर संध्या जैन जैन है, तो दूसरी ओर 9 जनवरी 2025 को जारी हुए आदेश के दौरान डॉक्टर अलका गुप्ता को शासकीय दंत चिकित्सालय महाविद्यालय का मध्य प्रदेश शासन ने आदेश जारी कर प्रिंसिपल घोषित कर दिया। प्रिंसिपल घोषित होने के बाद डॉक्टर संध्या जैन ने कोर्ट का रुख अपनाया और कोर्ट ने फैसले पर वर्तमान प्रिंसिपल को ही प्रिंसिपल पदभार पर रहने का ऑर्डर जारी किया है।
दोनों ही प्राचार्य कुर्सी के लिए अड़ी
वही दोनों ही प्रिंसिपल ऑर्डर को लेकर या कहती हुई नजर आ रही है कि वर्तमान में मैं ही इस कॉलेज की प्रिंसिपल हूं। डॉक्टर अलका गुप्ता अपने आप को प्रिंसिपल बता रही है तो वही डॉक्टर संध्या जैन भी अपने आप को प्रिंसिपल बता रही हैं। डॉक्टर संध्या जैन का कहना है मेरे रिटायरमेंट को 5 महीने का वक्त बचा हुआ है, मेरा 2025 में मेरा रिटायरमेंट होना है। ऐसे में मेरे द्वारा क्या कोई गलत काम किया गया है जिसको लेकर मुझे राज्य शासन ने पद से हटा दिया। इसको लेकर हमने राज्य शासन से बातचीत भी की थी, लेकिन राज्य शासन से कोई जवाब न मिलने के बाद हमने कोर्ट का रुख अपनाया और कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुना दिया।
मेरे पास यह पदभार होना चाहिए-अलका गुप्ता
वहीं दूसरी ओर डॉक्टर अलका गुप्ता का कहना है कोर्ट ने फैसला सुनाया है क्योंकि राज्य शासन का आदेश जारी हो गया था और आदेश जारी होने के बाद मैं प्रिंसिपल घोषित हो चुकी थी। इसलिए वर्तमान में प्रिंसिपल में हूं तो मेरे पास यह पदभार होना चाहिए। अब दोनों ही प्रिंसिपलों का विवाद लगातार इतना बढ़ गया कि डॉक्टर अलका गुप्ता ने डॉक्टर संध्या जैन के केबिन में पहुंचकर उनसे कॉलेज संबंधित रजिस्टरों को छीन लिया और उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। अब एक शासकीय दंत चिकित्सालय महाविद्यालय में दो प्रिंसिपलों के अलग-अलग केबिन बन गए हैं और दोनों ही काम करने का दावा कर रहे हैं।
अस्पताल के प्रोफेसर किसके आदेश का पालन करेंगे?
ऐसे में अस्पताल के प्रोफेसर किसके आदेश का पालन करेंगे और किसे रिपोर्ट करेंगे, इसको लेकर चिंतित है। वही इस पूरे मामले में डॉक्टर संध्या जैन का कहना है मेरे बाद भी तीन और डॉक्टर सीनियर है। उन्हें भी राज्य शासन मेरी जगह प्रिंसिपल बन सकता था। लेकिन जूनियर को प्रिंसिपल बना दिया गया इस पर भी सवाल खड़े होते हैं। वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर अलका गुप्ता का कहना है कि इसमें ऐसी क्या बात है कि इस प्रिंसिपल की कुर्सी को डॉक्टर संध्या जैन नहीं छोड़ना चाहती हैं और कोर्ट के आर्डर का भी पालन नहीं कर रही हैं। ऐसे में मैंने अपना अस्थाई प्रिंसिपल ऑफिस बना लिया है और मैं अपना काम यहीं से कर रही हूं। अब दोनों ही प्रिंसिपलों के विवाद के बीच कॉलेज की छवि धूमिल होती हुई दिखाई दे रही है और यह पूरा विवाद कॉलेज के छात्रों से लेकर प्रोफेसर के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
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