धर्मेंद्र ओझा, भिंड। मध्यप्रदेश के भिंड में एक शिक्षक का कारनामा सामने आया है। मास्साब बिना मेडिकल पढ़ाई और डिग्री हासिल किए क्लिनिक चला रहे हैं। यही नहीं मरीजों को कपड़ों के ऊपर से ही इंजेक्शन लगा देते हैं। उनसे इलाज कराने के लिए क्लिनिक में मरीजों की काफी भीड़ रहती है।
5 बजे से शुरू हो जाती है टीचर की क्लीनिक
बीटीआई रोड स्थित जिला शिक्षा कार्यालय के सामने क्लीनिक संचालित करने वाले टीचर का नाम सतपाल साक्य है। वह शंकरपुर गांव के साशकीय प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ हैं। स्कूल की छुट्टी होने के बाद शाम 5 बजे से उनकी क्लीनिक शुरू हो जाती है। मरीज को पर्चा लिखते और दवाइयां देते हुए उनका फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
कलेक्टर ने कही कार्रवाई की बात
डॉक्टर बने शिक्षक का कारनामा सामने आने के बाद कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। वहीं, जब तथा-कथित फर्जी डॉक्टर से अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से इनकार कर दिया। हालांकि, फोन पर बातचीत के दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि वह शासकीय ड्यूटी के बाद ही डॉक्टरी की प्रैक्टिस करते हैं।
शिक्षक ने गरीबी को बताया डॉक्टर बनने की वजह
डॉक्टर की प्रैक्टिस के पीछे उन्होंने परिवार की गरीबी को वजह बताई। उन्होंने बताया कि वे गरीब हैं और परिवार मजदूरी करता है। शासकीय सेवा में परिवार में वह अकेले ही हैं। परिवार के भरण-पोषण के लिए मरीज का इलाज करते हैं, जिससे अतिरिक्त आमदनी हो सके। क्लीनिक के रजिस्ट्रेशन की बात पर उन्होंने कहा कि उनके क्लीनिक पर शासकीय डॉक्टर वीके जैन आकर प्रैक्टिस करते हैं। वह उन्हीं के साथ बैठकर काम करते हैं। मास्साब की क्लीनिक के पास ही कबीर मेडिकल स्टोर भी संचालित है। डॉक्टर बने टीचर बरासों पंचायत के शंकरपुर गांव के शासकीय प्राथमिक स्कूल में पदस्थ हैं।
कब होगी कार्रवाई?
मध्य प्रदेश में फर्जी डॉक्टरों की वजह से जान का खतरा रहता है। कई ऐसे लोग बिना डिग्री के लोगों को दवाइयां देकर उनका इलाज कर रहे हैं। लेकिन फिर भी इस पर लगाम नहीं लग रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिला चिकित्सा प्रबंधन की नजर फर्जी डॉक्टर पर क्यों नहीं पड़ी? क्या चिकित्सा प्रबंधन किसी हादसे का इंतजार कर रहा है या इसके पीछे वजह भ्रष्ट सिस्टम है? अब इस पर क्या कार्रवाई होती है, यह देखने वाली बात है।