दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बीच, हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी सरकार पर गंभीर टिप्पणी की है. दिल्ली हाई कोर्ट ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की कई रिपोर्टों को विधानसभा में पेश नहीं किए जाने पर संदेह व्यक्त किया है. कोर्ट ने यह टिप्पणी की है जब मीडिया में CAG की 2 रिपोर्ट लीक हो चुकी हैं, जिसमें सीएम के बंगल पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं और शराब नीति से सरकारी खजाने को 2000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है.

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दिल्ली हाई कोर्ट ने CAG रिपोर्ट पर विचार करने में देरी की दिल्ली सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “जिस तरह से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है.” हाई कोर्ट ने आगे कहा, “आपको रिपोर्ट को तुरंत स्पीकर को भेजना चाहिए था और सदन में चर्चा शुरू करनी चाहिए थी.”

कोर्ट ने कहा, “टाइमलाइन एकदम साफ है. आपने विधानसभा सत्र बुलाने में कदम पीछे खींच लिए. एलजी के पास रिपोर्ट भेजने और इस मुद्दे पर देरी से आपकी ईमानदारी पर संदेह होता है.” दिल्ली सरकार ने जवाब में सवाल किया कि चुनाव के नजदीक विधानसभा सत्र कैसे हो सकता था?

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दिल्ली विधानसभा के सचिवालय ने पिछली सुनवाई में अदालत को बताया कि सीएजी रिपोर्ट्स को विधानसभा में पेश करने से उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि कार्यकाल फरवरी में खत्म हो रहा है. दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि सभी चौबीस रिपोर्ट्स स्पीकर को भेजी गई हैं.

भाजपा विधायकों ने हाई कोर्ट में सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने की मांग की है क्योंकि पार्टी वर्षों से विधानसभा में एक दर्जन से अधिक रिपोर्ट लंबित हैं.