नई दिल्‍ली. 26 फरवरी को पाकिस्‍तान में इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के हवाई हमले की खबर के बाद देश में जो खुशी और उत्‍साह का माहौल था, उसे विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की खबर ने तकलीफ में बदल दिया है.

बुधवार को विंग कमांडर अभिनंदन का फाइटर जेट मिग-21 बाइसन क्रैश हुआ और उन्‍हें पाकिस्‍तान की सेना ने पकड़ लिया. देखते ही देखते उनके वीडियोज सोशल मीडिया पर आने लगे और देश में एक अजीब सा माहौल बनता गया. ऐसा ही वाकया 20 वर्ष पहले सन् 1999 में तब हुआ था जब कारगिल की जंग में भारत और पाकिस्‍तान आमने सामने थे. इस जंग के दौरान उस समय इंडियन एयरफोर्स में फ्लाइट लेफ्टिनेंट रहे के नचिकेता भी पाकिस्‍तान के चंगुल में फंस गए थे. के नचिकेता के पकड़े जाने के बाद भारत और पाकिस्‍तान के बीच जारी जंग में एक नया मोड़ आ गया था. देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी.

जानिए क्‍या हुआ था उस समय और कैसे पाकिस्‍तान ने नचिकेता को छोड़ा था

क्‍या थी पूरी घटना

26 मई 1999 को कारगिल में इंडियन एयरफोर्स ने ऑपरेशन सफेद सागर लॉन्‍च किया. इस ऑपरेशन के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट के नचिकेता मिग-27एल उड़ा रहे थे. नचिकेता की उम्र उस समय 26 वर्ष थी और वह आईएएफ की नंबर नौ स्क्‍वाड्रन के साथ पोस्‍टेड थे. इस स्‍क्‍वाड्रन को कारगिल के बटालिक सेक्‍टर से दुश्‍मन को खदेड़ने की जिम्‍मेदारी दी गई थी जो युद्ध में सबसे ज्‍यादा प्रभावित इलाका था. उनके एयरक्राफ्ट के इंजन को पाकिस्‍तान की तरफ से आती स्टिंगर मिसाइल ने हिट किया और उनका जेट क्रैश हो गया.

नचिकेता ने किया दुश्‍मन का सामना

जो बात सबसे ज्‍यादा दुखदायी थी, वह थी नचिकेता का जेट तो भारतीय सीमा में गिरा लेकिन वह पीओके में गिर गए. नचिकेता के पैराशूट स्‍कार्दू में गिर गया. नचिकेता को तलाशने के लिए उनके साथी स्‍क्‍वाड्रन लीडर अजय आहूजा मिग-21 से निकले और उनके एयरक्राफ्ट को भी पाक मिसाइल ने निशाना बनाया. स्‍क्‍वाड्रन लीडर आहूजा शहीद हो गए. नचिकेता को पाकिस्‍तान की सेना ने पकड़ लिया और वह पहले प्रिजनर ऑफ वॉर यानी पीओडब्‍लू माने गए. पाकिस्‍तान ने उन्‍हें पकड़ लिया लेकिन उन्‍होंने बिना युद्ध किए खुद को हाथ तक नहीं लगाने दिया. नचिकेता दुश्‍मनों पर अपनी सर्विस पिस्‍टल से लगातार फायरिंग करते रहे और जब तक उनकी पिस्‍टल में आखिरी गोली रही, वह दुश्‍मन से लड़ते रहे.

आखिरी गोली तक लड़े नचिकेता

लेकिन उनकी पिस्‍टल में गोली खत्‍म हो गई और पाक सेना ने उन्‍हें पकड़ लिया. पाक की सेना उन्‍हें यहां से लेकर रावलपिंडी गई और यहां पर उन्‍हें बुरी तरह से पीटा गया. नचिकेता की जान पाकिस्‍तान एयरफोर्स के एक सीनियर ऑफिसर ने बचाई. साल 2016 में नचिकेता ने एक न्‍यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया था कि जिन जवान ने उन्‍हें पकड़ा, वे उन्‍हें जान से मार देते क्‍योंकि वह उनके लिए एक दुश्‍मन थे जो उन पर गोलियां बरसा रहा था. सौभाग्‍य से एक ऑफिसर वहां पर आए. उन्‍हें यह बात समझ आई कि अब नचिकेता बंधक हैं और उनके साथ ऐसा बर्ताव नहीं होना चाहिए. तुफैल, नचिकेता से रैंक में सीनियर थे.

एक हफ्ते बाद हुए रिहा

नचिकेता करीब एक हफ्ते तक बंदी रहे और तीन जून 1999 को पाक ने उन्‍हें रिहा किया. नचिकेता को पाकिस्‍तान में इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस को सौंपा गया. इसके बाद वह वाघा बॉर्डर से देश पहुंचे थे. जिस ऑफिसर ने नचिकेता की जान बचाई थी उनका नाम तुफैल था. तुफैल, नचिकेता को अपने कमरे में ले गए. यहां पर उन्‍होंने नचिकेता के साथ उनकी पसंद और नापसंद के बारे में काफी बात की. नचिकेता ने बताया कि तुफैल ने उनसे अपने पिता की दिल की बीमारी की बात की थी और अपनी बहनों की शादी का जिक्र भी किया था. सिर्फ इतना ही नहीं तुफैल ने नचिकेता के लिए शाकाहारी स्‍नैक्‍स का इंतजाम भी किया था.