Punjab University: अमृतसर. पहले चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश (UT) बनाकर केंद्र इसका प्रशासन चला रहा है. दूसरी ओर, प्रशासनिक कर्मियों में पंजाब की भागीदारी घटाकर केंद्र अपना प्रभाव बढ़ा रहा है. हाल ही में पंजाब सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला, जब केंद्र द्वारा चंडीगढ़ में मुख्य सचिव नियुक्त करने की बात सामने आई थी.

अब खबर है कि पंजाबी यूनिवर्सिटी की सीनेट के ढांचे में बदलाव होने जा रहा है. सीनेट सुधारों से संबंधित फाइल विश्वविद्यालय के चांसलर और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कार्यालय को कानूनी राय के लिए भेज दी गई है. इस बार, मौजूदा 91 सीटों की बजाय सीनेट में केवल 40-45 सीटें होंगी, जिनमें से केवल 20-25 सीटों के लिए चुनाव होंगे.

पिछली सीनेट में शामिल पंजाब के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री

सुधार के तहत सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि ग्रेजुएट और फैकल्टी चुनाव हलकों को या तो पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा या उनके लिए बहुत कम सीटें आरक्षित रखी जाएंगी. सीनेट के लगभग 19-20 नामांकित सदस्यों के नाम पहले ही तय किए जा चुके हैं, जिनकी सूची जल्द ही जारी की जा सकती है.

सिंडिकेट पर भी पड़ेगा असर

इस बदलाव का असर सिंडिकेट पर भी पड़ेगा. फिलहाल सिंडिकेट में 15 सदस्य हैं, जिनकी संख्या घटाकर 7-8 कर दी जाएगी. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस संबंध में छात्रों की एक कमेटी भी बनाई है, जिसने चर्चा में पंजाब के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग की है. हालांकि, इस कमेटी की अब तक कोई बैठक नहीं हुई है. कानूनी राय मिलने के बाद सीनेट चुनावों के लिए अधिसूचना जारी की जा सकती है.

पंजाबियों का दबदबा घटने की संभावना (Punjab University)

अब तक पंजाबी यूनिवर्सिटी में पंजाबियों का दबदबा रहा है. सरकार द्वारा नियुक्त सदस्य विश्वविद्यालय की बैठकों में हिस्सा लेते थे. इसके अलावा, विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए भी पंजाब के छात्रों को प्राथमिकता दी जाती थी. लेकिन अब धीरे-धीरे बदलाव हो रहे हैं, जिससे पंजाब की हिस्सेदारी लगातार कमजोर हो रही है.

Punjab University: लगातार संघर्ष कर रहे हैं छात्र

पीयू अधिकारियों ने इन सुधारों के बारे में स्पष्ट जानकारी देने से फिलहाल इनकार कर दिया है. अब यह देखना बाकी है कि आने वाले दिनों में सीनेट सुधारों को लेकर छात्रों और प्रबंधन के बीच क्या सहमति बनती है और ये बदलाव किस रूप में लागू किए जाएंगे.