Mahakumbh Snan: पौराणिक मान्यताओं में कुंभ स्नान का विशेष महत्व है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कुंभ स्नान करने वाला व्यक्ति जीवन-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मानव जीवन का लक्ष्य जीवन के चार दिव्य लक्ष्यों को प्राप्त करना है: धन, धर्म, काम और मोक्ष.
जन्म-मरण के 84 लाख चक्रों से गुजरने के बाद दुर्लभ मानव शरीर मिलता है, जिससे मानव रूप में भगवान की पूजा कर मोक्ष प्राप्त कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हुआ जा सकता है और इससे मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है. यदि आप महाकुंभ में स्नान करने जा रहे हैं और आप विवाहित हैं तो आपको 5 बार डुबकी लगानी होगी. ऐसा माना जाता है कि यदि आप 5 बार गंगा में डुबकी नहीं करते हैं तो आपका स्नान पूरा नहीं माना जाएगा.
इन्द्र के पुत्र से अमृत छलका था (Mahakumbh Snan)
भारतीय संस्कृति में जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी शुभ-अशुभ संस्कारों में कुंभ (घड़ा) स्थापित करके ही भगवान का पूजन करने का नियम है. कलश या घट कुंभ राशि का पर्याय है, ज्योतिष में कुंभ राशि भी बारह राशियों में से एक है. कुंभ का आध्यात्मिक अर्थ है ज्ञान का संचय; ज्ञान की प्राप्ति प्रकाश से होती है और आत्मा की प्राप्ति कुंभ स्नान, दर्शन और पूजन से होती है.
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, इंद्र के पुत्र जयंत के घड़े से अमृत की बूंदें भारत में चार स्थानों पर गिरी थीं – हरिद्वार में गंगा नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, नासिक में गोदावरी नदी और गंगा, यमुना, यमुना का त्रिवेणी संगम और प्रयागराज में.
पृथ्वी की एक लाख बार परिक्रमा करने के बराबर है यह फल
एक हजार अश्वमेध यज्ञ, एक सौ वाजपेय यज्ञ तथा एक लाख बार पृथ्वी की परिक्रमा करने से जो फल मिलता है, वही फल कुम्भ में स्नान करने से मिलता है. प्रयागराज में 2025 में आयोजित होने वाले महाकुंभ के अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम में मोक्ष की पवित्र डुबकी लगा रहे हैं.
मान्यता के अनुसार कुंभ के अवसर पर पवित्र स्नान करने वालों के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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