शिखिल ब्यौहार, प्रयागराज. महाकुंभ में बड़ी संख्या में साधु-संत और नागा सन्यासी पहुंचे हैं. जहां आध्यात्म और आस्था का संगम देखने को मिल रहा है. मेला क्षेत्र में सबसे छोटी आयु के नागा साधु भी पहुंचे हैं, जिनकी उम्र केवल 8 साल है. जिन्होंने अपने सांसारिक मोह को त्यागकर सन्यास धारण कर लिया है. 8 वर्ष के नागा साधु गिरिराजपुरी ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत करते हुए इसके पीछे की पूरी कहानी बताई है.

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बता दें कि नागा साधु गिरिराजपुरी महाकुंभ में आजीवन निर्वस्त्र, धूनी रमाए, भस्म का शृंगार किए आस्था का केंद्र बने हुए हैं. वे श्री शंभू पंचदस आह्वाहन अखाड़ा के सबसे छोटे धर्म के कर्म योद्धा हैं. नागा साधु गिरिराजपुरी ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत करते हुए बताया कि वे ग्वालियर के रखने वाले हैं. माता-पिता की आज्ञा लेकर सनातन के प्रचार, हिंदू रक्षा, आध्यात्म चेतना के लिए बाल अवस्था में संन्यास लिया है.

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आगे नागा साधु गिरिराजपुरी ने कहा, अखाड़ा में धर्म के साथ व्यवहारिक शिक्षा भी ले रहा हूं. कक्षा 5वीं में पढ़ाई करता हूं. नागा दीक्षा के प्रथम चरण पालन में श्री गणेश मेरे आराध्य हैं. धर्म रक्षा के लिए शास्त्र दीक्षा भी लूंगा. साथ ही यह भी कहा कि आजीवन नागा साधु बनकर धर्म की रक्षा में तत्पर रहूंगा.