प्रयागराज. किन्नर अखाड़े ने कार्रवाई करते हुए ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया था. साथ ही लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाकर उन्हें भी अखाड़े से बाहर कर दिया गया है. किन्नर अखाड़े की ओर से 50 लाख की मोटी रकम लेकर ममता को महामंडलेश्वर बनाने की बात भी सामने आई थी. अब लक्ष्मी नारायण ने बयान दिया है कि ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े को 10 करोड़ रुपए नहीं दिए. यह अफवाह है. ममता के सभी खाते फ्रीज हैं. ममता ने सिर्फ 2 लाख रुपए भंडारे के लिए दिए थे. इतना ही नहीं लक्ष्मी नारायण ने खुद को निष्कासित नहीं माना और कहा कि किन्नर अखाड़ा किसी से पैसे नहीं लेता.

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बता दें कि बीते 24 जनवरी को फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में सन्यास लिया था. उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से आशीर्वाद लिया था. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ही उनका पट्टाभिषेक किया था. ममता कुलकर्णी 25 वर्षों बाद भारत लौटी हैं. लौटते ही वे महाकुंभ में शामिल हुई थीं. उन्होंने 12 वर्षों की तपस्या के बाद कुंभ मेला 2012 में भी भाग लिया था. 12 वर्षों बाद फिर से महाकुंभ में शामिल हुई. जिसके बाद वे किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं. उन्होंने अपना पिंडदान किया. जिसके बाद उनका पट्टाभिषेक किया गया. साथ ही उन्हें नया नाम भी मिला. उनका नया नाम यमाई ममतानंद गिरी रखा गया था.

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साधु-संतों में थी जबरदस्त नाराजगी

हालांकि ममता के महामंडलेश्वर बनने के बाद से इसे लेकर लगातार बवाल मचा हुआ था. विवादित पट्टीभिषेक को लेकर दो संतों में जबरदस्त नाराजगी देखने को मिली थी. लगातार इसका विरोध हो रहा था. वैष्णव किन्नर अखाड़े (Vaishnav Kinnar Akhara) ने बगावत तक का ऐलान कर दिया था. उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को फर्जी और अवैध करार दिया था. इतना ही नहीं किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने भी इस पर सवाल उठाया था. हिमांगी सखी का कहना था कि किन्नर अखाड़े ने एक स्त्री का महामंडलेश्वर क्यों बनाया है.