
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त राशन और नकदी देने की घोषणाओं पर गंभीर चिंता जताई. लोग सरकार से मुफ्त में राशन और नकदी मिलने के कारण काम करने को तैयार नहीं हैं. राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार और नकदी देने की घोषणाओं के मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ई.आर. कुमार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत से कहा कि देश में शायद ही कोई काम नहीं करना चाहता है अगर उसके पास काम है.
जस्टिस बी. आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि क्या हम लोगों को राष्ट्रीय विकास के लिए मुख्यधारा में शामिल करने के बजाय परजीवियों का एक वर्ग बना रहे हैं? जस्टिस गवई ने कहा कि दुर्भाग्य से, राजनीतिक दल चुनावों से ठीक पहले मुफ्त उपहारों (जैसे मुफ्तराशन, लाडकी बहन, लाडली बहन, और अन्य मुफ्त योजनाएं.
पीठ ने कहा कि हम लोगों के प्रति सरकार की चिंता की सराहना करते हैं, लेकिन क्या यह बेहतर नहीं होगा कि उन्हें समाज का हिस्सा बनाया जाए और देश का निर्माण करने को प्रेरित किया जाए? यह टिप्पणी शहरी क्षेत्रों में बेघर व्यक्तियों के आश्रय के अधिकार से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई.
अधिकारी सिर्फ अमीरों की सोचते हैं प्रशांत भूषण
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पहले पीठ से कहा कि अधिकारी सिर्फ अमीरों के बारे में सोचते हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार बेघरों के मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रही है, जो उसकी प्राथमिकता में सबसे नीचे है.
‘अदालत में रामलीला मैदान वाला भाषण न दें’
जस्टिस गवई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम अपनी अदालतों को राजनीतिक लड़ाई का स्थान नहीं बनाने देंगे; इस अदालत में रामलीला मैदान की तरह भाषण न करें और अनावश्यक आरोप न लगाएं.
दिल्ली में शहरी बेघरों की संख्या 3 लाख
भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन, जो कई मुद्दों पर केंद्रित होगा, को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि योजना कब तक लागू होगी. योजना के कई हिस्सों को अदालत के रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए कहा गया था. पीठ ने अटॉनी जनरल से कहा कि वे केंद्र को बताएं कि क्या वह राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन को योजना के कार्यान्वयन तक जारी रखेगा या नहीं.
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