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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नगर निगम के महापौर कुर्सी पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार है. यहां भाजपा सिर्फ एक बार ही शहर सरकार बना पाई है. रायपुर नगर निगम को लगभग 158 साल हो चुके हैं. यहां अंग्रेज जमाने से ही नगर निगम संचालित है, जो रायपुर नगर समिति के रूप में थी. प्रदेश में चाहे सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की, लेकिन रायपुर नगर निगम के महापौर की कुर्सी पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा. साल 2004 में सुनील सोनी को छोड़कर भाजपा कभी महापौर का चुनाव नहीं जीत पाई. इस बार के निकाय चुनाव का परिणाम 15 फरवरी को आएगा. इस बार भाजपा महापौर प्रत्याशी मीनल चौबे की जीत होने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं कांग्रेसी दीप्ति दुबे के जीतने का दावा कर रहे.
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जानिए, रायपुर नगर निगम का इतिहास
ब्रिटिश शासन के दौरान 17 मई 1867 को रायपुर नगर समिति बनी. इसका प्राथमिक उद्देश्य तेजी से बढ़ती शहरी बस्ती में बुनियादी नागरिक सुविधाएं सुनिश्चित करना था. इसके बाद साल 1973 में इसका स्वरूप बदला और रायपुर नगर निगम बना. उस समय रायपुर नगर निगम में कुल 40 वार्ड थे. 1980 में पहली बार हुए नगर निगम चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के स्वरूप चंद जैन महापौर बने. इसके बाद 1981 से 82 तक कांग्रेस के एसआर मूर्ति महापौर बने. 1982 से 1983 तक फिर स्वरूपचंद जैन महापौर रहे. 1983 से 84 तक कांग्रेस के ही तरुण चटर्जी, 1984-85 तक कांग्रेस के संतोष अग्रवाल महापौर चुने गए. 1985 से लेकर 1995 तक रायपुर नगर निगम में प्रशासक बैठे थे. फिर 1995 में वार्डों की संख्या बढ़कर 60 कर दी गई . 1995-2000 तक कांग्रेस के बलबीर एस जुनेजा महापौर चुने गए. पहले नगर निगम कार्यालय जयस्तंभ के पास था. इसके बाद नया नगर निगम कार्यालय सीटी कोतवाली के पास भव्य रूप में बनाया गया है, जिसे व्हाइट हाउस के नाम से भी जाना जाता है. वर्तमान में रायपुर नगर निगम में कुल 70 वार्ड हैं.
2004 में पहली बार महापौर चुनाव में कांग्रेस को मिली थी हार
साल 2000 में छत्तीसगढ़ गठन के बाद तरुण प्रसाद चटर्जी रायपुर के पहले महापौर थे. हालांकि बाद में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया था. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहले स्थानीय निकाय चुनाव साल 2004 में हुआ. तब भाजपा के सुनील सोनी रायपुर नगर निगम के महापौर बने, जो वर्तमान में विधायक हैं. रायपुर नगर निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था, जब कांग्रेस को महापौर चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. 2010 से 2015 तक कांग्रेस नेत्री किरणमयी नायक महापौर रहीं. वे रायपुर नगर निगम की पहली महिला महापौर थीं. इसके बाद 2015 से 2020 तक कांग्रेस के प्रमोद दुबे महापौर रहे. 2020 से 2025 तक एजाज ढेबर महापौर रहे. भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में महापौर का अप्रत्यक्ष चुनाव हुआ. इस नियम को बदलते हुए वर्तमान साय सरकार ने इस बार महापौर का प्रत्यक्ष चुनाव कराया. सभी जगह ईव्हीएम से चुनाव संपन्न कराया गया.
इस बार दीप्ति दुबे और मीनल चौबे आमने-सामने
इस बार रायपुर में कांग्रेस ने रायपुर में दीप्ति दुबे को मेयर प्रत्याशी बनाया है. दीप्ति दुबे वर्तमान सभापति प्रमोद दुबे की पत्नी है. वे साइकोलाजिस्ट हैं. उनका मेंटल हेल्थ क्लीनिक है. वे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रही हैं. दीप्ति दुबे ने मास्टर्स इन साइकोलॉजी के साथ एमए हिंदी साहित्य की पढ़ाई की है. वर्तमान में पीएचडी कर रही हैं. पत्रकारिता में डिप्लोमा होने के साथ-साथ वह मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में काम कर रही हैं. कांग्रेस पार्टी की सक्रिय सदस्य के रूप में दीप्ति दुबे ने पिछले 20 वर्षों में पार्टी के विभिन्न अभियानों और कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बीजेपी ने रायपुर नगर निगम महापौर का टिकट मीनल चौबे को दिया. वह नगर निगम परिषद में नेता प्रतिपक्ष रह चुकी हैं. पार्षद, जिला और प्रदेश महिला भाजपा मोर्चा में कई पदों पर काम कर चुकी हैं. वे तीन बार बीजेपी पार्षद रह चुकी हैं. संगठन में भी सक्रिय है. भाजपा-कांग्रेस अपने-अपने जीत के दावे कर रहे.
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