कुमार इंदर, जबलपुर। क्या यह मान लिया जाए की खुशहाल व्यक्ति ज्यादा सक्सेसफुल है और जो सक्सेसफुल है वह व्यक्ति की खुशहाल हो, इस बात की कोई गारंटी नहीं है। क्या अब इस बात की जरूरत आन पड़ी है कि इंसान को खुश रहने के लिए भी पढ़ाई करना पड़ेगा या इस बात की पढ़ाई की भी जरूरत है कि वह अपने आप को खुश कैसे रख सके। जी हां मंगलायतन विश्वविद्यालय इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। जो अपने छात्रों को स्ट्रेस फ्री स्टडी और तनावमुक्त लाइफ के साथ खुशी खुशी हर पड़ाव को पार कराने के लिए नए प्रयास किए है।

दरअसल, जबलपुर का मंगलायतन विश्वविद्यालय ने रेखी फाउंडेशन ऑफ हैप्पीनेस के साथ एक करार किया है। रेखी फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. सतिंदर सिंह रेखी ने मंगलायतन विश्विद्यालय में सेमिनार में बताया कि छात्रों को इस बात का पता ही नहीं होता है कि वह कितने स्ट्रेस से गुजर रहे हैं। लिहाजा वक्त आ गया है कि छात्रों को पढ़ाया कि कैसे वो अपने इमोशंस को रेगुलेट करें, कैसे हमारे माइंड्स केमिकल को डाइवर्ट कर एक हैप्पीनेस सिस्टम डेवलप करें और हर हालत में अपने आप को खुश रखते हुए हर चुनौती का सामना करते हुए आगे बढ़े।

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सिलेबस तैयार

इस दिशा में उन्होंने बच्चों के लिए सिलेबस भी तैयार किया है, जिसमें माइक्रो स्पेशलाइजेशन ऑफ हैप्पीनेस जैसा कोर्स भी शामिल है, जो कि आईआईटी रुड़की में पहले से ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रो वाइस चांसलर डॉक्टर विनीता कौर ने बताया कि रेखी संस्था की मदद से हम अब विश्वविद्यालय में साइंस ऑफ हैप्पीनेस का कोर्स शुरू करने जा रहे हैं।

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हैप्पीनेस इंडेक्स को बढ़ाना है मकसद

विनीता ने बताया कि हम छात्र जीवन या व्यक्तिगत जीवन में तनाव को आने से नहीं रोक सकते, लेकिन हां साइंस ऑफ हैप्पीनेस की स्टडी से हम यह जरूर कर सकते हैं कि उसे तनाव को कंट्रोल कैसे किया जाए, हम अपने इमोशंस को कंट्रोल कैसे करें, जो तनाव आया है उसकी रेमेडी क्या है यह सारी चीज मंगलायतन विश्वविद्यालय के साइंस ऑफ हैप्पीनेस सेंटर में पढ़ाई जाएगी। मंगलायतन विश्वविद्यालय की प्रो वाइस चांसलर ने बताया कि हम इसके लिए करिकुलम तैयार कर रहे हैं, जिसमें हैप्पीनेस इंडेक्स बढ़ाने के लिए बाकायदा कोर्स एड ऑन किए जाएंगे। इसके लिए अलग से क्लासेस भी लगेगी, जिसका ओवरऑल मकसद बच्चों की हैप्पीनेस इंडेक्स को बढ़ाना है।

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