दिल्ली (Delhi) हाईकोर्ट जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के घर से कैश मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. कोर्ट ने कहा की जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े मामले की जांच सबसे पहले शुरू की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया पूरे मामले में कई प्रकार की अफवाहें और गलत जानकारियां भी फैलाई जा रही हैं, जिससे बचने की आवश्यकता है.

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सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, SC द्वारा निर्धारित इन-हाउस जांच प्रक्रिया के तहत दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने साक्ष्य और जानकारी एकत्र करना शुरू कर दिया था.

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बयान में कहा गया है कि, यह जांच कोलेजियम की 20 मार्च 2025 की बैठक से पहले ही प्रारंभ कर दी गई थी. जांच रिपोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आज (21 मार्च 2025) भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को सौंपेंगे, जिसके बाद इस रिपोर्ट की समीक्षा कर आगे की आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

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ट्रांसफर पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

शीर्ष न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर का प्रस्ताव इन-हाउस जांच प्रक्रिया से पूरी तरह अलग और स्वतंत्र है. कोर्ट ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि जस्टिस यशवंत वर्मा वर्तमान में दिल्ली हाईकोर्ट में दूसरे वरिष्ठतम जज और कोलेजियम के सदस्य हैं. हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर होने के बाद उनकी वरिष्ठता घटकर नौवीं हो जाएगी.

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प्रेस बयान में सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया कि उनके ट्रांसफर प्रस्ताव में इस वरिष्ठता परिवर्तन का एक विशेष महत्व था. गौरतलब है कि, न्यायाधीश यशवंत वर्मा के ट्रांसफर प्रस्ताव पर 20 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की कोलेजियम बैठक में चर्चा की गई.

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बैठक के बाद, SC के वरिष्ठ जजों से सलाह ली गई. संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को सूचना दी गई. न्यायाधीश यशवंत वर्मा को भी इस प्रस्ताव की जानकारी दी गई. सभी जवाबों की समीक्षा के बाद कोलेजियम इस संबंध में अंतिम प्रस्ताव पारित करेगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से जुड़े घटनाक्रम को लेकर कई प्रकार की गलत जानकारियां फैलाई जा रही हैं.

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