रायपुर . लोकसभा के इस चुनाव में कई हिंदूवादी धार्मिक और सांस्कृति संगठन की सक्रिय भूमिका दिखने वाली है. सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी के पक्ष में हिंदूवादी संगठन पूरे ज़ोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. बताया जाता है कि पदाधिकारियों की मोदी सरकार से नाराज़गी के बाद भी ये फैसला किया गया है कि पूरी ताकत से प्रधानमंत्री के पक्ष में प्रचार किया जाएगा. मार्च के महीने में नागपुर में बैठक हुई. जिसमें देश भर से पदाधिकारी के साथ संगठन में आस्था रखने वाले लोग शामिल हुए. बैठक में चुनाव को लेकर रणनीति बनी. बैठक में छत्तीसगढ़ के कई लोग शामिल थे.

हिंदूवादी संगठन के सूत्रों के मुताबिक ये माना जा चुका है  कि राहुल गांधी उनके लिए सबसे बड़ा खतरा है. इसलिए इस बार मोर्चा सिर्फ लोगों के बीच में नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी कार्यकर्ता और पदाधिकारी संभालेंगे. सूत्र के मुताबिक बैठक में सोशल मीडिया को लेकर संगठन का पूरा रोड मैप बना है . पदाधिकारियों को ज़िम्मेदारियां मिली हैं. समाज के अलग-अलग तबके में कैसे और कौन से मैसेज को फैलाया जाएगा. जिसका फायदा बीजेपी को मिले.

सूत्र के मुताबिक हिंदूवादी ये मान रहे हैं कि इस बार के चुनाव में एससी, एसटी और माइनॉरिटी के वोट बीजेपी से छिटकेंगे. सवर्ण वोट 10 प्रतिशत आरक्षण के बाद उनके पास हैं. माना जा रहा है कि इस चुनाव में सारा दारोमदार ओबीसी वोटबैंक पर है. सूत्र के मुताबिक सबसे ज़्यादा मेहनत इसी वोटबैंक को लेकर की जाएगी. रणनीति के तहत संगठन के नंबर एक और नंबर दो चुनाव के दौरान सामने नहीं आएंगे.

सूत्र की दी जानकारी के मुताबिक हिंदूवादी संगठन मान रहे हैं कि धार्मिक ध्रुवीकरण से संगठन को फायदा होगा. अलग-अलग वर्गों को साधने के लिए अलग-अलग रणनीति बनाई गई है. जिसमें हिंदू धर्म से जुड़े खतरों के बारे में आगाह किया जाएगा. चर्चाओं के मुताबिक इसके लिए विवादित वायरल पोस्ट का भी हवाला लिया जाएगा. सोनिया गांधी और राहुल गांधी को सबसे ज़्यादा निशाने पर रखा जाएगा.