दिल्ली. उत्तर प्रदेश की धौरहरा लोकसभा क्षेत्र का गांव गनेशपुर जहां के किसी भी छोटे बड़े चुनाव में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं है। इस बार प्रशासन 70 सालों से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश कर रहा है।

धौरहरा लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के ईसानगर ब्लॉक में गनेशपुर गांव है। जहां करीब करीब 4500 की जनसंख्या पर करीब 3400 मतदाता हैं। इनमें महिलाओं की संख्या आधी है। चुनाव चाहे पंचायत का हो फिर लोकसभा या विधानसभा का। यहां मतदान पर पुरुष अपना इकलौता अधिकार जताते रहे। गांव में ब्याह कर आई महिला हो या यहीं जन्म लेने वाली महिला मतदाता। किसी को पोलिंग बूथ तक नहीं जाने दिया जाता है। अलबत्ता महिलाओं के वोट जरूर बनवाए जाएंगे। यहां की महिलाओं को हर तरह का सरकारी लाभ तो चाहिए। लेकिन इन्हें कभी भी बूथ तक जाने की इजाजत नहीं दी गई।

साल 2000 में सम्पन्न हुए पंचायत चुनाव में गनेशपुर की प्रधानी की सीट महिला आरक्षित हो गई। इस बार आधी सदी पुरानी परम्परा टूटने की आस बंधी थी। पर चुनाव वाले दिन चुनाव लड़ रही सभी महिला प्रत्याशी बूथ के आसपास नहीं दिखीं। यहां तक कि ग्राम प्रधान चुनी गईं सुलोचना देवी खुद भी अपना वोट डालने नहीं आईं।