सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्यप्रदेश में टेलीमेडिसिन कर्मचारियों की उनके सामने गुजर बसर की समस्या खड़ी हो गई है। दरअसल, प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पिछले पांच वर्ष से कार्यरत 550 टेलीमेडिसिन लैब टेक्नीशियन को बिना कोई कारण बताए केवल मौखिक निर्देशों से सेवा से पृथक कर दिया गया है। कर्मचारियों का कहना है कि नौकरी चले जाने से उनका परिवाह भुखमरी की कगार पर है।

दरअसल, मध्य प्रदेश में दूर दराज गांव के लोगों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवा उपलब्ध कराने वाली अतिलोकप्रिय महत्त्वाकांक्षी योजना अकारण बंद कर दी गई। प्रदेश सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना, जिसमें सुदूर गांव देहात में रहने वाले लोगों को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलुरू, हैदराबाद जैसे महानगरों में बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों का चिकित्सकीय परामर्श वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए दिलाया जाता था।

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ये लैब टेक्नीशियन गांव देहात के लोगों की वीडियो कॉफ्रेंसिंग कराने का काम करते थे और वीडियो कॉफ्रेंसिंग करवाने के बाद उन ग्रामीण मरीजों का चिकित्सकीय रिकॉर्ड भी संभालते थे। लैब टेक्नीशियन कर्मचारी सभी जगहों पर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनने तैयार नहीं है। ये तकनीकी शिक्षा प्राप्त अनुभवी कर्मचारी हैं। इनका उपयोग स्वास्थ्य विभाग की अन्य योजनाओं में भी किया जा सकता है लेकिन कोई इनकी बात नहीं सुन रहा है।

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