मेरठ. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने दरबार के चौथे दिन बचपन की यादों को याद करते हुए अपनी आपबीती सुनाई है. इस दौरान वे भावुक हो गए. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, गरीबों का कोई नहीं होता है. स्कूल वाले हम पर हंसते थे, हमें खूब दुत्कारा. बहन की शादी में पिता जी ने एक एकड़ जमीन गिरवी रखी थी.
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पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा, जब हम सरपंच के पास जाते तो सबसे बाद में नंबर आता था. सरपंच से पूछते थे कि हमारा घर कब बनेगा तो सरपंच कहते थे कभी नहीं बनेगा. मां कहती थी घर से निकलना तो हंसकर निकलना, ताकि किसी को ये ना लगे कि हम गरीब हैं. अब हनुमान जी की कृपया देखो.
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पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी बहन की शादी का जिक्र करते हुए कहा कि बहन की शादी की तैयारी में बहुत झेलना पड़ा है. पिता जी ने एक एकड़ जमीन गिरवी रखी थी. कार्ड भी गिनती के छपवाए थे. जब हमने देखा कि बहन की शादी में अच्छा नहीं कर पाए, तो प्रण लिया कि ऐसी बेटियों के लिए कुछ करें. हम अब यही कर रहे हैं.
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