हेमंत शर्मा, इंदौर। दमोह (Damoh) से सामने आए फर्जी डॉक्टर (Fake Doctor) मामले के बाद मध्य प्रदेश में आए दिन फर्जी डॉक्टर (Fake Doctor) का खुलासा हो रहा है। ऐसे में अब मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जहां वे आंख बंद कर अपनी जिंदगी की डोर धरती के भगवान को सौंप देते थे अब उन्हें अस्पताल जाने में सोचना पड़ रहा है। वहीं अब जानवरों के डॉक्टर पर भी सवाल उठ रहे हैं। अगर आपके घर में डॉग, कैट या कोई भी पालतू जानवर है, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है।

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दरअसल, इंदौर शहर में बड़ी संख्या में ऐसे लोग सामने आ रहे हैं जो खुद को पशु डॉक्टर बताकर पालतू जानवरों का इलाज कर रहे हैं। जबकि उनके पास न तो डॉक्टर की डिग्री है और न ही कोई कानूनी अधिकार। ये लोग असली डॉक्टर की तरह व्यवहार करते हैं। जानवरों को इंजेक्शन लगाते हैं, दवाएं देते हैं और कुछ मामलों में तो ऑपरेशन तक कर डालते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां इन फर्जी डॉक्टरों के इलाज के कारण पालतू जानवरों की हालत खराब हो गई, और कुछ की तो मौत तक हो चुकी है।

जानवर बोल नहीं सकते, इसलिए जब उन्हें कोई गलत दवा या इंजेक्शन दिया जाता है, तो उनका दर्द समझ पाना मुश्किल होता है। जब तक सही इलाज की बारी आती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इस पूरे मामले में जब lalluram.com ने इंदौर के पशु चिकित्सा उपसंचालक डॉ. शशांक प्रभाकर झूमडे से बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि शहर में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां किसी पालतू जानवर को गलत इलाज दिया गया था। उन्होंने कहा कि केवल वही व्यक्ति जानवरों का इलाज कर सकता है, जो वेटरनरी काउंसिल ऑफ इंडिया (VCI) में रजिस्टर्ड हो और जिसके पास मान्यता प्राप्त डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर हो।

डॉ. झूमडे ने बताया कि डिप्लोमा होल्डर या पैरावेट स्टाफ केवल असिस्टेंट का काम कर सकते हैं। उन्हें डॉक्टर के निर्देश पर काम करना चाहिए, लेकिन आजकल यही लोग डॉक्टर की कुर्सी पर बैठ कर इलाज कर रहे हैं। यह पूरी तरह से गैरकानूनी है और ‘Animal Cruelty Act’ के तहत अपराध भी माना जाता है। उन्होंने आगे बताया कि कई बार लोग बिना जानकारी के किसी के पास भी अपने पालतू जानवर को इलाज के लिए ले जाते हैं, और वहां एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाएं ऐसे दे दी जाती हैं, जिनका जानवर पर बुरा असर होता है। कुछ दवाएं तो इतनी ताकतवर होती हैं कि उनका गलत इस्तेमाल जानवर की जान ले सकता है। उन्होंने बताया कि, सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अब कई फर्जी डॉक्टर जानवरों के ऑपरेशन तक करने लगे हैं।

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कुछ जगहों पर बिना किसी सर्जिकल ट्रेनिंग के पेट्स का ऑपरेशन किया जा रहा है, जो न सिर्फ जानवर के लिए खतरनाक है, बल्कि गंभीर कानूनी अपराध भी है। डॉ. झूमडे ने बताया कि अगर किसी को फर्जी डॉक्टर की जानकारी मिलती है, तो उसकी शिकायत भोपाल स्थित वेटरनरी काउंसिल ऑफ इंडिया के कार्यालय में की जा सकती है। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो उस व्यक्ति का डिप्लोमा रद्द किया जा सकता है और उस पर कार्रवाई भी हो सकती है। उन्होंने सभी पेट पेरेंट्स और एनिमल लवर्स से अपील की है कि वह सिर्फ रजिस्टर्ड डॉक्टर से ही इलाज करवाएं। ऐसे डॉक्टरों के पास रजिस्ट्रेशन नंबर होता है और उन्हें इस बात की जानकारी होती है कि किस दवा का कब और कैसे इस्तेमाल करना है। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि कोई भी डॉक्टर ओटीपी या कंसल्टेशन चार्ज के बिना इलाज शुरू न करे। इंदौर नगर निगम और पशु चिकित्सा विभाग इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और जल्द ही ऐसे फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। आम नागरिकों से भी सहयोग की अपील की गई है, ताकि इन बेजुबानों के साथ हो रही लापरवाही को रोका जा सके।

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