डेंगू और चिकनगुनिया जैसे मच्छरजनित रोगों की रोकथाम के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने समेकित कार्ययोजना लागू कर दी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर गर्मी और बरसात के मौसम को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग के नेतृत्व में अंतरविभागीय समन्वय, जनजागरूकता, निगरानी और फील्ड एक्शन के व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी विभागों को अलर्ट किया गया है.

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि रोकथाम का पहला कदम स्वच्छता और स्रोत नियंत्रण है. नगर निगमों को नाले-नालियों की सफाई, जलजमाव हटाने और कचरा निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं. प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करेंगी. फॉगिंग, पोस्टर, नुक्कड़ नाटक, गोष्ठियों आदि के माध्यम से जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
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स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि राज्य व निजी अस्पतालों को भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है. हर जिले में मच्छरदानी युक्त डेंगू आइसोलेशन वार्ड बनाए जाएंगे, जिसमें प्रशिक्षित स्टाफ और जरूरी उपकरण मौजूद रहेंगे. गंभीर रोगियों के लिए प्लेटलेट्स, ELISA किट्स और दवाओं की समय पर आपूर्ति की व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि संदिग्ध मरीजों की पहचान के लिए फीवर सर्वेक्षण होगा और पॉजिटिव केस मिलने पर रोगी के घर से 50 मीटर की परिधि में फोकल स्प्रे किया जाएगा. सभी जिलों में रैपिड रिस्पॉन्स टीम को अलर्ट मोड में रखा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई हो सके. माइक्रो प्लान बनाकर राज्य एनवीबीडीसीपी यूनिट को भेजे जाने के भी निर्देश दिए गए हैं.
डॉ. आर राजेश कुमार ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ सरकार नहीं, समाज की भी सामूहिक जिम्मेदारी है. सभी जिलों में IMA, निजी अस्पतालों और पैथोलॉजी लैब्स के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा. हेल्पलाइन 104 को पूरी तरह सक्रिय रखा गया है. हर जिले में कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे और शाम 4 बजे तक दैनिक रिपोर्टिंग अनिवार्य होगी.
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