शब्बीर अहमद, भोपाल। भारत में गिद्धों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, वहीं इन प्रजातियों में से अधिकतर प्रजाति मध्य प्रदेश में मिलती हैं। यह एक ऐसा पक्षी है, जिसका जिक्र हमारे धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। अब रामायण में जटायु को ही देख लीजिए। इसी बीच एमपी की राजधानी भोपाल में केरवा से 6 गिद्धों को उनके प्राकृतिक रहवास हलाली डेम के वनक्षेत्र में छोड़ा गया।
केरवा से छोड़ा गया गिद्धों का पहला समूह
केरवा के गिद्ध संवर्धन एवं प्रजनन केंद्र से 6 गिद्धों 2 सफेद पीठ वाले गिद्ध और 4 लंबी चोंच वाले गिद्ध को उनके प्राकृतिक रहवास हलाली डेम के वनक्षेत्र में रामकली गौशाला के पास आज सुबह 07:30 बजे छोड़ा गया। इन गिद्धों का प्रजनन गिद्ध संवर्धन और प्रजनन केंद्र केरवा में कराया गया है। यह गिद्धों का पहला समूह है, जिसे केंद्र से छोड़ा जा रहा है।
चयन से पहले हुई थी स्वास्थ्य जांच और मॉर्फोमेट्री
बता दें कि, गिद्धों के चयन से पहले 8 अप्रैल को इनकी स्वास्थ्य जांच और मॉर्फोमेट्री की गई थी। शारीरिक जांच एवं रक्त नमूनों की जांच में सभी गिद्ध स्वस्थ पाए गए। साथ ही देखा गया कि इन्हें छोड़ा जा सकता है। इसके बाद 12 अप्रैल को गिद्धों पर ऑर्निट्रक 25 सौर जीपीएस जीएसएम ट्रैकर लगाए गए हैं। ताकि उनकी लोकेशन दिखती रहे। वहीं वर्तमान में गिद्ध संवर्धन एवं प्रजनन केन्द्र में 34 सफेद पीठ वाले गिद्ध और 46 लंबी चोंच वाले गिद्ध हैं।
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