रायपुर। छत्तीसगढ़ में इन दिनों अगर किसी समारोह की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, तो वह है निगम-मंडल आयोग में पदभार ग्रहण समारोह की । लेकिन इन सबके बीच अधिकारियों के कार्यक्रम की सूचना ने ही सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया।

यह कार्यक्रम था IAS अधिकारियों के स्वागत और विदाई से जुड़ा हुआ, जिसकी भव्यता और आयोजन स्थल को लेकर सवाल उठने लगे।

दरअसल, रायपुर के एक पांच सितारा होटल में वरिष्ठ IAS अधिकारी प्रसन्ना आर. की विदाई और डॉ. एस. भारती दासन के स्वागत के लिए एक समारोह आयोजित किया जा रहा था। इस संबंध में भेजा गया निमंत्रण पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद इस आयोजन की आलोचना शुरू हो गई।

क्या था निमंत्रण पत्र में?

सोशल मीडिया पर वायरल हुए आमंत्रण पत्र में बताया गया कि 21 अप्रैल 2025 को शाम 7 बजे रायपुर के एक पांच सितारा होटल में कार्यक्रम होना है। पत्र में कहा गया कि प्रसन्ना आर. को भारत सरकार के गृह मंत्रालय में प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त किया गया है और डॉ. एस. भारती दासन ने उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है। आयोजन का मकसद दोनों अधिकारियों के सम्मान में विदाई और स्वागत था। इस कार्यक्रम का आयोजन उच्च शिक्षा विभाग की ओर से किया जा रहा था।

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया

जैसे ही यह निमंत्रण पत्र सार्वजनिक हुआ, फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर इसकी तीखी आलोचना शुरू हो गई। पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिकों ने इसे “सरकारी पैसे की बर्बादी” करार दिया।

पत्रकार उचित शर्मा ने फेसबुक पर निमंत्रण पत्र साझा करते हुए लिखा, “ग़ज़ब करते हैं उच्च शिक्षा आयुक्त IAS जे.पी. पाठक जी, एक साधारण से सादगी वाले आयोजन को भी फाइव स्टार में एक सेलिब्रेशन की तरह… वो भी सरकारी खर्चे पर। मुझे नहीं लगता सीनियर अधिकारी IAS प्रसन्ना और भारती दासन जी की अनुमति होगी या प्रसन्नता होगी।”

इसके अलावा भाजपा और संघ विचारक Devendra Gupta की पोस्ट भी चर्चा में रही, जिसमें उन्होंने तंज कसते हुए लिखा, “बराबर के हिस्सेदार… जब मंडल, बोर्ड, कॉरपोरेशन में नियुक्त नेता अपने पदभार ग्रहण में विभाग का लाखों खर्च कराएंगे तो IAS भी कहाँ पीछे रहने वाले हैं…”

विभाग ने कार्यक्रम किया रद्द

बढ़ते विवाद और लोगों की नाराजगी को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इस कार्यक्रम को “अपरिहार्य कारणों” से स्थगित करने की घोषणा कर दी। हालांकि स्थगन के पीछे की स्पष्ट वजह नहीं बताई गई, लेकिन माना जा रहा है कि सोशल मीडिया पर उठी तीव्र प्रतिक्रिया के कारण ही यह निर्णय लिया गया।

आगे क्या ?

इस पूरे घटनाक्रम ने अफसरशाही की चमक-दमक पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब एक ओर आम जनता महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रही है, तब ऐसे समारोहों पर खर्च की प्राथमिकताएं पर सवाल उठना लाज़मी हैं। अब देखना यह होगा कि क्या यह विवाद भविष्य में ऐसे आयोजनों पर रोक लगाने किस तरह के कदम उठाए जाते है।

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