जशपुर। जशपुर के एक गाँव के लोगो ने ईब नदी के प्रवेश पर बाहरी लोगो का प्रवेश निषेध कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि  ईब नदी से निकलने वाले बालू पर बाहरी व्यापारियों ने वर्षो से कब्जा जमा रखा है जबकि स्थानीय लोग बाहरी व्यपारियों से मंहगी कीमत पर बालू खरीदने को मजबूर है.

पूरा मामला जशपुर उड़ीसा की सीमा पर बसे गाँव खारीबहार है. ग्राम पंचायत खारीबहार ईब नदी के किनारे बसा है. मंगलवार को यहां के पंचायत ने ग्रामीणों की एक महापंचायत बुलायी. महापंचात में यह फैसला लिया गया कि अब ईब नदी से निकलने वाले बालू का उपयोग केवल खारीबहार पंचायत के लोग करेंगे. अब यहां कोई भी बाहरी व्यापारी इंब नदी के बालू से व्यापार नहीं करेगा. खारीबहार पंचायत में आयोजित महापंचायत में खारीबहार की महिला सरपंच रजनी बड़ा ,सचिव पूरण चंद के अलावे पंचायत के लगभग सभी वार्ड पंच और कई सारे ग्रामीण मौजूद थे.

यहां के उपसरपंच तेरस टोप्पो ने बताया कि ईब नदी के किनारे संग्रहित होने वाले बालू को बाहरी व्यापारी चारागाह के रूप में इस्तेमाल कर रहे है जबकि पंचायत में होने वाले निर्माण कार्यो के लिए जब बालू की जरुरत होती है तो बालू खत्म हो जाते हैं और पंचायत को उन्ही बाहरी व्यापारियों का मुंह ताकना  पड़ता है इसलिए पंचायत ने फैसला किया है कि अब यहां के बालू का उपयोग केवल और केवल पंचायत के लोग करेंगे.

सरपंच रजनी बड़ा का कहना है कि उन्होंने यह फैसला करने से पहले खनिज विभाग के आला अधिकारियों से बाकायदे परमिशन लिया है. हांलाकि परमिशन सम्बंधित कोई भी लिखित दस्तावेज पंचायत के पास नहीं है. पंचायत का कहना है कि खनिज विभाग ने परमिशन देने से पहले पंचायत से कुछ जरूरी दस्तावेज मांगे हैं जिन्हें एक दो दिन में जमा कर दिया जाएगा.

बता दें कि खारीबहार में बालू निकासी के लिए इ केवल एक ही  घाट है जहां रायगढ़ के लैलूंगा,कोतबा ,गंझियाडीह ,बाबू साजबहार,कोंपारा, सराईटोला के व्यापारियों का जमावड़ा लगा रहता है जो वर्षो से बगैर किसी रॉयल्टी के अवैध बालू का उठाव और परिवहन करते आ रहे है.

गौरतलब है कि यह वही ईब नदी है जहां के रेत से आज भी स्वर्ण कण निकलते हैं जो यहां के झोरा समुदाय के लोगों के जीविकोपार्जन का जरिया है. इस पुरे मामले में जिला खनिज अधिकारी बी आर दीवान से जब लल्लूराम डॉट कॉम ने बात की तो उन्होंने पंचायत द्वारा ली जा रॉयल्टी को अवैध बताया लेकिन कहा कि बाहरी लोगो के रोक लगाने का अधिकार पंचायत को है.