रवि रायकवार, दतिया. जिले में स्कूली बच्चों के हेल्थ से खिलवाड़ किया जा रहा है. उन्हें बदबूदार रोटियां खाने को दी जा रही है. सोमवार को स्कूल के निरीक्षण करने आए जनशिक्षक को बच्चों ने अपनी समस्या बताई. उन्होंने कहा कि सर जी… रोटियों से बदबू आता है. खाते हैं तो उल्टी करने का मन होता है. अब सवाल खड़ा होता है कि अगर कोई बच्चा फूड पॉइजनिंग का शिकार हो जाता है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?

यह मामला नवीन शासकीय प्राथमिक विद्यालय रेलले स्टेशन रोड दतिया का है. जब इस मामले को लेकर जन शिक्षक नीरज श्रीवास्तव ने रसोइयों से बात की, तो उन्होंने बताया कि गेहूं खराब है. जिस कारण से आटें में बदबू आती है. हमें भी आटा गूंथने के वक्त बहुत बदबू आती है. जब गेहूं देखा गया, तो उसमें बकरी ओर अन्य जानवरों के मल मिले. रसोइयों की मानें तो उन्होंने इसकी जानकारी समूह अध्यक्ष को भी दी थी.

पहले भी कर चुके हैं शिकायत

इधर, जनशिक्षक ने गेहूं और रोटी का सैंपल लेकर जांच के भिजवा दिया है और उन्होंने उस आटे से रोटियां बनाने से मना कर दिया है. इससे पहले भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने जब स्कूल का निरीक्षण किया था, तो बच्चों ने समूह की शिकायत की थी. बावजूद इसके कोई एक्शन नहीं लिया गया. अगर उसी वक्त स्व सहायता समूह को फटकार लगाया होता, तो बच्चों को ऐसी रोटियां खाने नहीं मिलता.

क्या होगी कार्रवाई?

हालांकि, जनशिक्षक ने इस मामले की जानकारी दतिया बीआरसी अखिलेश राजपूत को दे दी है. अब देखना होगा कि इस पर कोई एक्शन लिया जाता है या नहीं? या फिर मामले को ठंडे बस्ते में जा दिया जाएगा? सवाल तो यह भी है कि आखिर घटिया क्वालिटी का गेहूं कहां से लाया गया? आखिर इन सब के पीछे किस-किस का हाथ है? वहीं इस मामले में जिम्मेदार कुछ भी कहने से बच रहे हैं.

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