Operation Sindoor Link With Sundara Kanda: 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के भारत ने बदला ले लिया है। पहलगाम हमले के 15 दिन बाद यानी 7 मई 2025 की रात डेढ़ बजे भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी ठिकानों को मिट्टी में मिला दिया। भारतीय सेना की इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकियों की मौत हो गई। ऑपरेशन की सफलता के बाद भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘हमने हनुमान जी (Hanu-Man ) के उस आदर्श का पालन किया है, जो उन्होंने अशोक वाटिका उजाड़ते समय किया था। हमने बस भगवान हनुमान जी के उस आदर्श का पालन किया है।

राजनाथ सिंह ने रामचरितमानस की चौपाई का सहारा लेते हुए भारत की सोच को स्पष्ट किया। उन्होंने साफ किया कि भारत की सनातन संस्कृति निर्दोष को मारने की आज्ञा नहीं देता है। हमने केवल उन्हीं को मारा जिन्होंने हमारे मासूमों को मारा। ऐसे में आइए आपको सुंदरकांड की इस पंक्ति और इसके पीछे की कहानी विस्तार से बताते हैं।
सुंदरकाण्ड की चौपाई का अर्थ
चौपाई- जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे। तेहि पर बांधेउं तनयं तुम्हारे॥
मोहि न कछु बांधे कइ लाजा। कीन्ह चहउं निज प्रभु कर काजा॥
अर्थ- जिन्होंने मुझे मारा, उनको मैंने भी मारा। तुम्हारे पुत्र ने मुझको बांध लिया, मैं अपने बांधे जाने से लज्जित नहीं हूं। मैं तो बस अपने प्रभु का कार्य कर रहा हूं॥
जब मेघनाद के ब्रह्मास्त्र से बंधक हुए हनुमान
दरअसल रावण ने, जब माता सीता का हरण लंका ले गया, तब हनुमान जी उनकी खोज में लंका पहुंचे। लंका में उन्होंने माता सीता को काफी खोजा, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद हनुमान जी थककर बैठ गए और निराश हो गए। इस दौरान हनुमान जी को महल के किसी कमरे से भगवान की पूजा होने और राम नाम शब्द उच्चारण होने की आवाज सुनाई दी। इसके बाद भगवान हनुमान उस कमरे में पहुंचे। वहां लंकापति रावण को सबसे छोटा भाई विभीषण भगवान की पूजा कर रहा था। विभीषण ने उन्हें देवी सीता के बारे में बताया। इसके बाद हनुमानजी अशोक वाटिका पहुंचे और उन्होंने भगवान श्रीराम का संदेश माता सीता को सुनाया।

देवी सीता तक प्रभु राम का संदेश पहुंचाने के बाद हनुमानजी को भूख लगी। उन्होंने यह बात माता सीता को बताई। माता सीता ने अशोका वाटिका के फल खाने की इजाजत दे दी। इसके बाद हनुमान जी फल तोड़कर खाने लगे। इतने विशाल वानर को देख पहरेदारों ने इसकी सूचना रावण को दी। रावण ने अपने पुत्र अक्षय कुमार को हनुमानजी को बंदी बनाने के लिए भेजा, लेकिन हनुमानजी ने उसका वध कर दिया।
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उसके बाद रावण का सबसे पराक्रमी पुत्र मेघनाद हनुमानजी को पकड़ने आया। हनुमान से हारता देख उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। वरदान के कारण ब्रह्मास्त्र हनुमानजी का अहित नहीं कर सकता था, लेकिन ब्रह्मा का अस्त्र होने के कारण हनुमानजी स्वयं उसके बंधनों में बंध गए। जब हनुमान जी रावण के दरबार में पहुंचे तो लंकापति ने हनुमान जी से पूछा कि तुमने मेरे बेटे अक्षय कुमार और सैनिकों को क्यों मारा, इस पर हनुमान जी ने कहा, ‘जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे’ यानी मैंने उन्हीं को मारा, जिन्होंने मुझे मारा।
हनुमान जी ने रावण से कहा कि हर व्यक्ति को अपनी देह प्यारी है। बुराई के रास्ते पर चलने वाले तुम्हारे अनुचरों ने मुझे मारा है। इसलिए जिन्होंने मुझे मारा, उनको मैंने भी मारा। इसमें मेरा कोई अपराध नहीं बनता है।
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