कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में सिविल जज भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को हाईकोर्ट ने हटा दिया है। HC ने भर्ती प्रक्रिया को 3 महीने के अंदर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया। दरअसल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दिनांक 17.11.2023 को विज्ञापन जारी करके व्यवहार न्यायाधीश, कनिष्ठ खंड (प्रवेश स्तर) के 06 पद दिव्यांगों सहित कुल 138 पदों का विज्ञापन जारी किया गया था।
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जारी विज्ञापन के अनुसार अनारक्षित वर्ग के 31 तथा अनारक्षित वर्ग बैकलॉग 17 पद, अनुसूचित जाति के 09 तथा वेकलाग 11 पद, अनुसूचित जनजाति के 12 वेकलाग 109 पद, ओबीसी के 09 वेकलाग के 01 पद, दिव्यांगों के लिए 06 पद, इस प्रकार सिविल जज हेतु कुल 138 पदों की पूर्ति का विज्ञापन जारी किया गया था।
इस भर्ती को लेकर एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस की ओर से आपत्ति जताई गई थी। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने अदालत में तर्क रखा। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अनारक्षित वर्ग का बैकलॉग नहीं हो सकता, इसलिए वो पद नियम के खिलाफ हैं।
हाईकोर्ट ने इसलिए लगाई रोक
याचिकाकर्ताओं ने ये भी कहा गया कि प्रारंभिक परीक्षा के बाद जो नियम है उसमें मेरिट के आधार पर 3 गुना उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। खासतौर पर ये आरोप था कि अनारक्षित वर्ग की लिस्ट में आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली उम्मीदवारों को शामिल नहीं किया गया, जो कि भेदभाव है। इन सब मुद्दों को देखते हुए हाईकोर्ट ने पहले पूरी भर्ती पर रोक लगा दी थी।
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