जीतेन्द्र सिन्हा, गरियाबंद. गरियाबंद जिले के सुरसाबांधा गांव से एक गंभीर मामला सामने आया है. यहां इलाज के नाम पर नाबालिग के धर्मांतरण की कोशिश की गई. बिना मेडिकल ट्रीटमेंट के तीन महीने तक बंधक बनाकर रखा गया. काफी हालत बिगड़ने के बाद नाबालिग की संदिग्ध परिस्थित में मौत हो गई. यह आरोप नाबालिग के परिजनों ने लगाए हैं.

जानकारी के मुताबिक, मामला राजिम थाना क्षेत्र के सुरसाबांधा गांव का है. रायपुर के निजी अस्पताल में सुनीता अपनी मानसिक रूप से बीमार बेटी का इलाज करवा रही थी. इलाज में घर तक बेचना पड़ गया, लेकिन खास सुधर नहीं हुआ. इसी बीच महासमुंद में सुनीता की मुलाकात ईश्वरी साहू नाम की महिला से हुई, जो इलाज करने के दावा करती थी.
मृतिका के परिजनों ने महिला ईस्वरी साहू पर आरोप है कि शैतान का डर दिखाकर नाबालिग को बंधक बनाकर रखा गया. इलाज के नाम पर केवल आयुर्वेदिक दवाएं और प्रार्थना की गई, लेकिन कोई मेडिकल ट्रीटमेंट या डॉक्टर का सहारा नहीं लिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि इलाज के नाम पर धर्मांतरण की कोशिश की गई.
लगातार नाबालिग की हालत बिगड़ने के बावजूद डॉक्टर से ट्रीटमेंट नहीं कराया गया. इसके बाद नाबालिग की संदिग्ध परिस्थित में मौत हो गई. इससे आक्रोशित परिजन राजिम थाना पहुंचे. रात करीब 1 बजे पुलिस ने धर्मांतरण और बंधक बनाने का मामला दर्ज किया. शॉर्ट पोस्टमार्टम में सामने आया है कि युवती की पसली टूटने के बाद ब्लड भी निकला है. फिर हार्ट अटैक होने से पीड़िता की मौत हुई है. घटनास्थल पर पहुंचकर ईश्वरी साहू को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने मार्ग कायम कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि योगिता से पहले 4 अन्य युवतियों का भी इसी तरह से इलाज किया गया है. ईश्वरी साहू पिछले कई साल से अपने घर में प्रार्थना के नाम पर इलाज कर रही है. फिलाहल पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है.
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