दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Court) ने 9 से दसवीं कक्षा में पदोन्नत हुए 7 छात्रों को तुरंत कक्षाओं में शामिल करने का आदेश दिया है, भले ही उन्होंने बढ़ी हुई फीस जमा नहीं की हो. साथ ही, न्यायालय ने इन छात्रों के अभिभावकों को निर्देश दिया है कि वे बकाया स्कूल फीस को किस्तों में जमा करें.
न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने यह स्पष्ट किया है कि लंबित मुद्दों के बावजूद छात्रों के भविष्य को प्रभावित करना उचित नहीं है. इसलिए, छात्रों को दसवीं कक्षा की विशेष कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि उनकी पढ़ाई पर कोई असर न पड़े. यह सुनिश्चित करना अभिभावकों और स्कूल प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है. पीठ ने यह भी बताया कि अभिभावकों को वर्ष 2019-20 और 2020-21 की फीस में छूट दी जाएगी, लेकिन उन्हें चार वर्षों 2021-22, 2022-23, 2023-24 और 2024-25 की फीस का भुगतान करना होगा, जिसके लिए एक व्यवस्था बनाई जा रही है. कोर्ट ने स्कूल को निर्देश दिया है कि छात्रों की शिक्षा में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो और उनके साथ भेदभाव न किया जाए.
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बकाया फीस का करेंगे भुगतान
पीठ ने अभिभावकों को निर्देश दिया है कि छात्रों की शिक्षा पर असर न पड़े, इसके लिए उन्हें पिछले चार वर्षों की फीस का भुगतान करना होगा. हालांकि, अभिभावकों को पूरी राशि एक साथ जमा करने के बजाय किस्तों में भुगतान करने का विकल्प दिया गया है. पीठ ने स्पष्ट किया है कि अभिभावक पिछले चार वर्षों की फीस को आठ महीने के भीतर जमा कर सकते हैं, जिसे चार किस्तों में बांटा गया है. पहली किस्त एक जून को जमा करनी होगी.
स्कूल ने अभिभावकों को दिया था नोटिस
अधिवक्ता खगेश बी झा और अधिवक्ता शिखा शर्मा बग्गा ने याचिका में जानकारी दी है कि स्कूल ने दसवीं कक्षा में पदोन्नत हुए सात छात्रों के अभिभावकों को नोटिस जारी किया है, जिनमें से दो छात्र 12वीं कक्षा के भी हैं. इन अभिभावकों को चेतावनी दी गई है कि यदि उन्होंने बढ़ी हुई फीस का भुगतान नहीं किया, तो उनके बच्चों का नाम स्कूल से काट दिया जाएगा. अधिवक्ता झा का कहना है कि अभिभावक वर्ष 2017-18 में शिक्षा निदेशालय द्वारा निर्धारित फीस के अनुसार चेक जमा करते रहे हैं, लेकिन स्कूल उन चेकों को लौटा देता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि दसवीं कक्षा में पढ़ रहे छात्रों की शिक्षा में कोई बाधा न आए, इसलिए स्कूलों को तुरंत राहत प्रदान की जाए.
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