Rajasthan News: राजस्थान सरकार की कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना और देवनारायण फ्री स्कूटी योजना का लाभ लेने को भरतपुर की कई मेधावी छात्राएं एक साल से अधिक समय से चक्कर काट रही हैं, लेकिन अब तक उन्हें उनकी स्कूटी नहीं मिल पाई है। जबकि उनका नाम चयनित सूची में दर्ज है और स्कूटियाँ कॉलेज परिसर में खड़ी-खड़ी कबाड़ बनने की कगार पर पहुंच चुकी हैं।

सूची में नाम फिर भी स्कूटी नहीं
भरतपुर निवासी छात्रा तनु ने बताया कि दो साल पहले योजना के तहत चयनित होने के बावजूद आज तक उसे स्कूटी नहीं दी गई है। वह कई बार कॉलेज प्रशासन से संपर्क कर चुकी है, लेकिन हर बार उसे आश्वासन देकर लौटा दिया जाता है। तनु ने बताया कि कॉलेज परिसर में स्कूटी खड़ी हैं, लेकिन वितरण नहीं हो रहा वे धूल फांक रही हैं।
इसी तरह मीना कुमारी नामक छात्रा ने कहा कि एक साल पहले सूची में नाम आने के बाद से वह कई बार कॉलेज गई, लेकिन स्कूटी आज तक नहीं मिली। मीना ने निराशा जताते हुए कहा कि अब समझ नहीं आ रहा कि किससे गुहार लगाएं।
कई छात्राएं एक जैसी स्थिति में
यह समस्या सिर्फ तनु और मीना की नहीं, बल्कि कई अन्य छात्राएं भी इसी परेशानी से गुजर रही हैं। चयनित होने के बावजूद उन्हें स्कूटी के लिए प्रशासनिक लापरवाही और जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है।
कॉलेज प्रशासन की सफाई
आरडी गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. सुजाता चौहान ने मामले पर सफाई देते हुए कहा कि स्कूटी वितरण प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से की जा रही है।
- पहले चरण में 392 स्कूटी में से 332 का वितरण कर दिया गया है।
- 60 छात्राओं को डिफॉल्टर होने की वजह से स्कूटी नहीं दी गई।
- दूसरे चरण में 64 स्कूटी वितरित की जानी हैं, जिनमें से 45 स्कूटी कॉलेज में आ चुकी हैं, और बाकी डीलर से मंगवाई जा रही हैं।
- डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया जारी है और जल्द ही शेष छात्राओं को स्कूटी दे दी जाएगी।
सवाल खड़े करती है यह देरी
इस देरी ने न केवल छात्राओं के धैर्य की परीक्षा ली है, बल्कि सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत पर सवालिया निशान भी लगा दिए हैं। स्कूटी जैसी सुविधा उन मेधावी छात्राओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती है, जो ग्रामीण या दूर-दराज इलाकों से पढ़ाई के लिए आती हैं, लेकिन ब्यूरोक्रेसी और लापरवाही के चलते यह सुविधा तनाव का कारण बनती जा रही है।
क्या कहती है सरकार?
सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह मामला सरकार की “बेटियों को प्रोत्साहन” वाली योजनाओं की साख पर भी असर डाल सकता है।
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