आस्था और परंपरा के केंद्र भगवान जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी एक महत्वपूर्ण धार्मिक घटना का समय फिर से करीब है. हर वर्ष की तरह इस बार भी भगवान श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी स्नान पूर्णिमा के बाद बीमार पड़ने वाले हैं. पुरी ही नहीं, देशभर के जगन्नाथ मंदिरों में इस परंपरा का अनुसरण होता है. श्रद्धालु इस अवधि को प्रभु की आरोग्यता की कामना और भक्ति साधना में बिताते हैं. यह विशेष काल “अनवसर” या “अनसर काल” कहलाता है, जो 11 जून 2025 की स्नान पूर्णिमा के बाद शुरू होगा और लगभग 15 दिनों तक चलेगा.

आम भक्तों के लिए दर्शन बंद होंगे

इस दौरान भगवान जगन्नाथ 108 पवित्र जलघटों से स्नान करते हैं, जिसके बाद उन्हें ठंड लगने के कारण ज्वर (बुखार) हो जाता है. इसके बाद वे विश्राम हेतु अपने निज मंदिर में चले जाते हैं और आम भक्तों के लिए दर्शन बंद हो जाते हैं. इस उपचार काल में केवल दैतापति सेवक ही भगवान की सेवा कर सकते हैं. भगवान को आयुर्वेदिक औषधियाँ, विशेष काढ़ा (दशमूल), पंचगव्य, तथा सुपाच्य भोजन दिया जाता है. इस संपूर्ण प्रक्रिया को “निज उपचार” कहा जाता है.

अनवसर काल के समापन

भगवान को “नवयौवन रूप” में दर्शन के लिए प्रस्तुत किया जाता है, जिसे “नवयौवन दर्शन” कहा जाता है. इसके अगले दिन, पूरे विश्व की प्रतीक्षा का पर्व रथ यात्रा होती है, जो इस वर्ष 27 जून 2025 (शुक्रवार) को आयोजित होगी. पुरी मे मंदिर प्रशासन तैयारियों में जुटा है और भक्तों से नियमों का पालन करने की अपील की जा रही है.