सत्या राजपूत, रायपुर. राजधानी के मोतीबाग स्थित प्रेस क्लब में आज शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार और भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खोली। मोर्चा के सभी 23 संयोजकों ने बारी बारी से युक्तियुक्तकरण की खामियां गिनाई और राज्य सरकार व अधिकारियों पर जमकर बरसे। साझा मंच के सभी प्रदेश संचालकों ने कहा कि युक्तियुक्तकरण राज्य सरकार एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों का झूठ का पुलिंदा है। सरकार के अधिकारी जो शिक्षा विभाग चला रहे हैं वे प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों से सरासर झूठ बोल रहे हैं।
शिक्षक साझा मंच ने मांग की है कि वर्तमान में जारी युक्तियुक्तकरण को तत्काल रद्द कर 2008 का सेटअप लागू किया जाए। उसी आधार पर शिक्षकों की पदस्थापना की जाए अन्यथा प्रदेश भर के सभी 33 जिला मुख्यालय में 10 जून को रैली निकालकर कलेक्टरों को ज्ञापन दिया जाएगा। 13 जून को संभाग मुख्यालय में रैली निकालकर संभाग आयुक्त एवं शिक्षण संचालक जेडी को ज्ञापन सौंपा जाएगा। साथ ही 16 जून से संपूर्ण शाला का बहिष्कार किया जाएगा।


मोर्चा के संयोजक मनीष मिश्रा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, संजय शर्मा, विकास राजपूत, कृष्णकुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी, जाकेश साहू, भूपेंद्र बनाफर, शंकर साहू, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन बघेल, गिरीश केशकर, लैलूंन भरतद्वाज, प्रदीप पांडे, प्रदीप लहरे, राजकिशोर तिवारी, कमल दास मुरचले, प्रीतम कोशले, विक्रम राय, विष्णु प्रसाद साहू, धरम दास बंजारे एवं अनिल कुमार टोप्पो ने कहा, सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारीयों एवं विकासखंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा युक्तियुक्तकरण के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है। युक्तियुक्तकरण के नाम पर अपने चहते शिक्षकों को मनमानी तरीके से लाभ दिलाया जा रहा है। इससे बाकी शिक्षक परेशान हो रहे हैं।
संयोजकों ने कहा, राज्य के किसी भी जिले और विकासखंड में अभी तक अतिशेष शिक्षकों की सूची को प्रकाशित ही नहीं की गई है। उन्हें दावा आपत्ति एवं त्रुटि सुधार का कोई भी समय और मौका नहीं दिया गया। आधी आधी रात को सूची जारी की जाती रही है। पुलिस बल एवं फोर्स लगाकर दबाव पूर्वक काउंसलिंग कराई गई है। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। शिक्षक साझा मंच के नेताओं ने सरकार के शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों पर नियम कानूनों की खुलेआम धज्जियां उड़ाने का बड़ा आरोप लगाया। नेताओं ने कहा कि जब विभिन्न ब्लाकों के शिक्षकों द्वारा अपनी बात को लेकर दावा आपत्ति की गई तो उनको सुना ही नहीं गया। युक्तियुक्तकरण के नाम पर प्रदेश के हजारों शिक्षकों को जबरदस्ती प्रताड़ित और परेशान किया गया है। कई ऐसे उदाहरण हैं, जहां पर अतिशेष शिक्षक को निकालकर वहां पुनः दूसरे शिक्षकों को दोबारा पदस्थ कर दी गई।
कई शिक्षकों से मोटी रकम लेकर अच्छी जगह दी गई पोस्टिंग
संयोजकों ने कहा, कई शिक्षकों से मोटी रकम लेकर उन्हें ठीक-ठाक स्थान दिया जा रहा है, लेकिन जिन शिक्षकों का किसी प्रकार का संपर्क या एप्रोच नहीं है, उसे परेशान किया जा रहा है। पूरा सेटिंग का खेल चल रहा है। राजधानी रायपुर में एक ऐसे शिक्षक हैं, जो वर्तमान में विदेश यात्रा पर हैं। वह विदेश में घूम रहा है, लेकिन उसका बकायदा यहां काउंसलिंग हो गई, उन्हें रिलीफ भी कर दिया और नए स्कूल में जॉइनिंग भी कर दिया गया है। इसी प्रकार अनेकों भ्रष्टाचार देखने और सुनने को मिल रहा है। अनेक विकासखंडों में अपने चाहते अतिशेष शिक्षकों को अतिशेष की सूची से बाहर रखा गया है। कई जगह पर कनिष्ठ शिक्षकों की जगह वरिष्ठ शिक्षकों को अतीशेष निकाल दिया गया है।
काउंसलिंग में नियमों का उल्लंघन करने का आरोप
शिक्षक साझा मंच के संयोजकों ने कहा, विभाग का नियम यह था कि काउंसलिंग के दौरान पहले एकल शिक्षकिय एवं शिक्षकविहीन स्कूलों को भरा जाना है, लेकिन काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान ऐसा नहीं किया गया है। एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन साला को पहले नहीं भरा गया बल्कि अपने चहेतों को अच्छा जगह दिया गया। बाकी को इधर-उधर फेंक दिया गया। कई जगह तो यहां तक सुनने में आया कि दिव्यांग शिक्षकों को भी 100 से 150 किलोमीटर दूर फेंक दिया गया।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया युक्तियुक्तकरण
शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़ ने एक स्वर में कहा कि हम युक्तियुक्तकरण का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि हम चाहते हैं कि सेटअप 2008 लागू किया जाए। 2008 सेटअप के बाद यदि जहां भी अधिक शिक्षक पदस्थ हैं तब उन्हें अन्य स्कूल में भेजा जाए। सरकार द्वारा स्कूलों से शिक्षकों के पद को खत्म किया जा रहा है। प्रदेश के सभी प्राथमिक शालाओं से एक-एक शिक्षक कम कर दिया गया है। अनेक स्कूलों को बंद कर दी गई है। अनेक स्कूलों को मर्ज कर दिया गया है। मर्ज किए गए स्कूलों में प्रधान पाठक का पद समाप्त किया गया है। इस प्रकार प्रदेश में 50,000 से अधिक शिक्षकों के पद को हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया। स्कूलों में शिक्षकों की संख्या घटने से किसी भी स्थिति में गुणवत्ता नहीं आएगी बल्कि गुणवत्ता और कमजोर होगी।
इस प्रकार विभाग के अधिकारियों के मनमाने रवैया के कारण युक्तियुक्तकरण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है।
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