रोहित कश्यप, मुंगेली। जनवरी 2025 में कराए गए भौतिक सत्यापन में मुंगेली जिले की 80 पीडीएस दुकानों में 12,000 क्विंटल चावल का अंतर सामने आया. शॉर्टेज मिलने के बाद विभाग ने 80 दुकानों को नोटिस तो भेजे, प्रकरण एसडीएम न्यायालय में भी भेजे गए, मगर 6 महीने बीतने के बावजूद ना कोई रिकवरी, ना किसी संचालक पर कार्रवाई है. ऐसे में बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं.

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इस पूरे मामले में बड़ी बात यह है कि जिन 80 दुकानों में चावल की गड़बड़ी पाई गई, उनका नाम सार्वजनिक नहीं किया गया. इससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं. अगर गड़बड़ी उजागर हो गई है तो संबंधित संचालकों के नाम छिपाने की क्या वजह है?यह भी विचारणीय प्रश्न है.

इस तरह की गड़बड़ियां हर साल सामने आती हैं, मगर कार्रवाई के नाम पर महज़ खानापूर्ति होती है. सवाल यह भी उठता है कि जब धान खरीदी केंद्रों में मामूली अंतर मिलने पर कर्मचारियों को जेल भेजा जाता है, तो PDS संचालकों के साथ ऐसा नरम रवैया क्यों अपनाया जाता है. हद तो तब है जब गड़बड़ी उजागर होने के बाद भी दागदार चावल गायब करने वालों के भरोसे अब भी पीडीएस दुकान का संचालन हो रहा है.

क्या बोले जनप्रतिनिधि और अधिकारी

विधायक पुन्नूलाल मोहले ने खाद्यान्न शॉर्टेज मामले रिकव्हरी की कार्रवाई की बात कही है. कलेक्टर कुंदन कुमार ने कहा है कि इस तरह का मामला संज्ञान में आया है. विस्तृत रिपोर्ट मंगाकर लगाया जाएगा कि किस वजह से शॉर्टेज हुई है. आंकलन कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. वहीं मुंगेली जिला खाद्य अधिकारी एचके डड़सेना ने कहा कि सत्यापन के बाद 80 दुकानों को नोटिस जारी किए गए हैं. जवाब मांगा गया है, और रिकवरी नहीं होने की स्थिति में कमीशन की राशि से वसूली की जाएगी.