Rajasthan News: राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) मुख्य परीक्षा 2024 की तारीख को टालने की मांग को लेकर जयपुर में कई दिनों से अभ्यर्थी धरने पर बैठे हैं। कई छात्रों ने अनशन भी शुरू कर दिया है। शुक्रवार, 13 जून को राज्य के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने धरनास्थल पर पहुंचकर छात्रों से संवाद किया और भरोसा दिलाया कि वे अगले दिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मिलकर उनकी बात रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों की खुद मुख्यमंत्री से मुलाकात करवाई जाएगी।

लेकिन अब छात्रों का भरोसा आश्वासनों से उठ चुका है। उनका कहना है कि इससे पहले भी ठीक इसी तरह भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने 10 जून को उनसे मिलकर वादा किया था कि परीक्षा की तारीख बढ़ाई जाएगी, जिसके बाद उन्होंने अनशन तोड़ दिया था।
एक अनशनकारी छात्र ने कहा, मदन राठौड़ ने अमर जवान ज्योति के पास आकर हमसे अनशन तुड़वाया था। अगर उन्होंने झूठ बोला है, तो यह उस ज्योति की भी अवमानना है, जो शहीदों की निशानी है। ये शर्म की बात है। छात्रों का आरोप है कि उन्हें बार-बार बहलाया जा रहा है। उनका कहना है कि प्रदेशाध्यक्ष ने कहा था कि मुख्यमंत्री जी से बात हो चुकी है, वे हमारी मांगों के प्रति संवेदनशील हैं। परीक्षा की तारीख कम से कम तीन महीने आगे बढ़ाई जाएगी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि RPSC का नया चेयरमैन जल्द ज्वाइन कर रहा है और उसके बाद परीक्षा टालने की प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी। लेकिन आज तक कोई लिखित आदेश नहीं आया है।
छात्रों ने भावुक होते हुए कहा कि जैसे किरोड़ी लाल मीणा को वे बाबा कहकर सम्मान देते हैं, वैसे ही मदन राठौड़ को भी पिता तुल्य मानते थे। हमने उनसे हाथ जोड़कर निवेदन किया था कि हमारा भविष्य आपके हाथ में है। मगर आज लगता है कि हमारा भरोसा टूट गया है। छात्रों का आरोप है कि उन्हें धोखा दिया जा रहा है।
छात्रों ने कहा कि एक तरफ कहते हैं कि काम कर रहे हैं, और दूसरी तरफ आदेश रोक दिए जाते हैं। यहां तक कि दोनों उपमुख्यमंत्रियों ने भी हमारे समर्थन में पत्र लिख दिए हैं, फिर भी कार्रवाई नहीं हो रही। अब छात्रों का कहना है कि जब तक परीक्षा की तारीख को आगे नहीं बढ़ाया जाता, वे धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे।
क्या है छात्रों की मांग?
RAS मुख्य परीक्षा 2024 का आयोजन 17 और 18 जून को प्रस्तावित है। छात्रों का तर्क है कि पिछली RAS परीक्षा का अंतिम परिणाम अब तक घोषित नहीं हुआ है। ऐसे में बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थी हैं जो पिछली परीक्षा में चयन की उम्मीद लगाए हुए हैं और फिर भी इस बार की परीक्षा दे रहे हैं। इससे दोहरी चयन की स्थिति पैदा हो सकती है और योग्य अभ्यर्थियों का नुकसान हो सकता है।
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