देश की राजधानी दिल्ली प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है, अब आसमान से मदद लेने की योजना बना रही है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दिल्ली सरकार के कृत्रिम बारिश (Artificial Rain Project) के पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कृत्रिम बारिश की संभावनाओं की पुष्टि हुई है. इस प्रयोग में मुख्य रूप से निंबोस्ट्रेटस बादलों का चयन किया जाएगा, जो 500 से 6000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होंगे और जिनमें कम से कम 50% नमी होनी चाहिए. यह प्रोजेक्ट उपयुक्त मौसम की स्थिति मिलने पर शुरू किया जाएगा.
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बुधवार, 18 जून को बताया कि भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के लिए मंजूरी दे दी है. जैसे ही उपयुक्त बादल दिखाई देंगे, यह अभियान तुरंत शुरू किया जाएगा. सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, अब केवल बादलों का इंतजार है. इस परियोजना के तहत दिल्ली में पहली बार कृत्रिम बारिश का अनुभव किया जाएगा, जो केवल एक प्रयोग नहीं, बल्कि विज्ञान पर आधारित भविष्य की योजना है, जिसे सटीकता और डेटा संचालित निगरानी के साथ संचालित किया जाएगा.
IIT कानपुर के वैज्ञानिक करेंगे संचालन
इस पायलट प्रोजेक्ट का वैज्ञानिक प्रबंधन आईआईटी कानपुर द्वारा किया जाएगा. आईआईटी की विशेषज्ञ टीम छोटे विमानों का उपयोग करते हुए फ्लेयर टेक्नोलॉजी के माध्यम से सिल्वर आयोडाइड, आयोडीन सॉल्ट और रॉक सॉल्ट जैसे मिश्रणों को बादलों में छोड़कर कृत्रिम वर्षा उत्पन्न करेगी.
‘साफ हवा सभी का अधिकार’
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि स्वच्छ हवा हर व्यक्ति का अधिकार है. एंटी स्मॉग गन, स्प्रिंकलर और निर्माण स्थलों पर सख्त नियमों के बाद अब हम नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहे हैं. यह केवल एक प्रयोग नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए एक ठोस योजना है. इसके साथ ही, यह तकनीक डेटा पर आधारित होगी और हर चरण में वैज्ञानिक निगरानी की जाएगी.
मिलेगा रियल टाइम डेटा
दिल्ली सरकार के अनुसार, एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत पांच परीक्षण उड़ानें संचालित की जाएंगी, जिनमें से प्रत्येक उड़ान कम से कम 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में एक से डेढ़ घंटे तक चलेगी. ये उड़ानें दिल्ली के बाहरी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में होंगी, जबकि राष्ट्रपति भवन, संसद और प्रधानमंत्री आवास जैसे उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों से इनका संचालन दूर रखा जाएगा. इसके अतिरिक्त, मॉनिटरिंग स्टेशन वायु गुणवत्ता में होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखेंगे, और भारतीय मौसम विभाग वास्तविक समय में मौसम से संबंधित डेटा जैसे नमी, हवा की दिशा और बादलों की ऊंचाई प्रदान करेगा.
दिल्ली पुलिस के 2 कांस्टेबल पर गबन का आरोप, LG ने दी मुकदमा चलाने की मंजूरी
3.21 करोड़ आएगी लागत
दिल्ली सरकार के अनुसार, इस अभियान में विशेष रूप से निंबोस्ट्रेटस (Ns) बादलों को लक्षित किया जाएगा, जो 500 से 6000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होते हैं और जिनमें कम से कम 50 प्रतिशत नमी होना आवश्यक है. इस परियोजना की कुल लागत 3.21 करोड़ रुपये अनुमानित की गई है, जिसे पूरी तरह से दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा.
प्रदूषण कम करने के लिए की जा रही कृत्रिम बारिश
आईआईटी कानपुर ने अप्रैल से जुलाई के बीच सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सात सफल क्लाउड सीडिंग परीक्षण किए थे. अब, पहली बार इस तकनीक का उपयोग दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषण को कम करने के लिए किया जा रहा है.
इस प्रयोग का मुख्य उद्देश्य केवल कृत्रिम बारिश उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि यह भी जांचना है कि क्या इससे हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे हानिकारक कणों की मात्रा में कमी लाई जा सकती है. यदि यह पायलट सफल होता है, तो यह न केवल दिल्ली, बल्कि देश के अन्य शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण से निपटने के लिए एक नया वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रस्तुत कर सकता है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक