Bhagalpur News: बिहार के भागलपुर में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां वार्ड 40 के पार्षद मोहम्मद बदरूद्दीन को चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने की वजह से अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। दरअसल, बदरूद्दीन ने अपने हलफनामे में ऐसा दावा किया, जो जैविक रूप से असंभव था। उनके दो बच्चों के जन्म में महज चार महीने का अंतर। इस खुलासे के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने उन्हें पद से हटाने का आदेश दे दिया और डीएम को नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

पार्षद को हैं चार बच्चे

मामला तब शुरू हुआ, जब नजमा खातून नाम की एक महिला ने बदरूद्दीन के खिलाफ शिकायत दर्ज की। नजमा ने आरोप लगाया कि बदरूद्दीन के पास 4 अप्रैल 2008 से पहले ही दो से ज्यादा बच्चे थे, जो पंचायत चुनाव नियमों का उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान नजमा के वकील ने कोर्ट को चौंकाने वाला खुलासा किया कि बदरूद्दीन के कुल चार बच्चे हैं, लेकिन उन्होंने अपने नामांकन पत्र में सिर्फ दो बच्चों मो. सहवाजुद्दीन (जन्म: 27 अगस्त 2007) और मो. अजीजुद्दीन (जन्म: 1 जनवरी 2008) का जिक्र किया। दोनों की जन्मतिथि में मात्र चार महीने का फासला दिखाया गया, जो प्रकृति के नियमों को ही चुनौती देता है।

वकील की दलली भी नहीं बचा पाई कुर्सी

सुनवाई में आधार कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों ने बदरूद्दीन की पोल खोल दी। इन दस्तावेजों से साफ हुआ कि उनके परिवार में चार बच्चे हैं, और उन्होंने जानबूझकर इस तथ्य को छुपाया। दूसरी ओर, बदरूद्दीन के वकील ने बचाव में दलील दी कि उनके अंतिम बच्चे की जन्मतिथि के साथ छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने रेडियोलॉजी और डेंटल जांच की रिपोर्ट पेश की, जिसमें बच्चों की उम्र 13 से 14 साल के बीच बताई गई। लेकिन यह दलील भी उन्हें बचा न सकी।

पार्षद को पद से हटाया गया

निर्वाचन आयोग ने साक्ष्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि बदरूद्दीन ने 4 अप्रैल 2008 के बाद भी दो से अधिक जीवित बच्चों की जानकारी छुपाकर गलत हलफनामा दाखिल किया और चुनाव जीता। इस धोखाधड़ी के चलते उन्हें पार्षद पद से हटा दिया गया, और अब उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है।

यह मामला न सिर्फ कानूनी उलझन का सबब बना, बल्कि भागलपुर की सियासत में भी एक नया ड्रामा लेकर आया। लोग अब इस “चार महीने के चमत्कार” की चर्चा जोर-शोर से कर रहे हैं।

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