नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रताप वेणुगोपाल को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में जारी समन को वापस ले लिया है। यह फैसला उस समय आया जब सुप्रीम कोर्ट ने ईडी द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता को समन भेजे जाने पर गंभीर आपत्ति जताई।
बता दें कि यह मामला केयर हेल्थ इंश्योरेंस लिमिटेड (CHIL) से जुड़ा है, जिसमें वर्ष 2022 में कर्मचारियों को बहुत कम कीमत पर ईएसओपी (एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन प्लान) जारी किए गए थे, जिसे बीमा नियामक संस्था आईआरडीएआई (IRDAI) ने खारिज कर दिया था। इसी सिलसिले में ईडी ने प्रताप वेणुगोपाल को समन भेजा था, जो उस समय CHIL के स्वतंत्र निदेशक के रूप में बोर्ड में शामिल थे।
एजेंसी का कहना था कि वह यह समझना चाहती थी कि IRDAI की अस्वीकृति के बावजूद कंपनी ने ईएसओपी कैसे जारी किए और इस पर बोर्ड में क्या चर्चा हुई।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया, जिसमें दो मामलों का हवाला देते हुए चिंता जताई गई कि वकीलों को समन भेजा जाना एक चिंताजनक प्रवृत्ति बन रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से इस पर नाराजगी जताई।
इस घटनाक्रम के बाद ईडी ने 20 जून को एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि चूंकि प्रताप वेणुगोपाल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, इसलिए उन्हें जारी किया गया समन वापस लिया गया है। साथ ही उन्हें सूचित कर दिया गया है कि यदि उनसे किसी दस्तावेज की आवश्यकता होगी, तो उसे ईमेल के जरिए मांगा जाएगा।

ईडी ने आगे कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 132 का पालन सुनिश्चित करने के लिए उसने एक परिपत्र भी जारी किया है। इसके तहत, बिना निदेशक की पूर्व स्वीकृति के किसी भी वकील को समन जारी नहीं किया जाएगा, ताकि अधिवक्ताओं की पेशेवर स्वतंत्रता और गोपनीयता सुरक्षित रह सके।
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