Why Not To Sit On Temple Stairs: मंदिर केवल एक वास्तु नहीं, बल्कि ऊर्जा और चेतना का केंद्र होता है. जब हम कहते हैं कि मंदिर की सीढ़ियों पर नहीं बैठना चाहिए, तो यह केवल एक सामाजिक नियम नहीं है, बल्कि यह एक गहरे आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक अर्थ से जुड़ा हुआ अनुशासन है.
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1. ऊर्जा प्रवाह का मार्ग (Why Not To Sit On Temple Stairs)
मंदिर की सीढ़ियां उस पथ का हिस्सा होती हैं, जिससे श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह — यानी देव ऊर्जा के केंद्र — की ओर बढ़ते हैं. यहां बैठना उस आध्यात्मिक प्रवाह को बाधित करना माना जाता है. यह ठीक वैसा ही है जैसे नदी के स्रोत के रास्ते को रोक देना.
2. प्रतीकात्मक संदेश (Why Not To Sit On Temple Stairs)
सीढ़ियां चढ़ाव का प्रतीक होती हैं — यह आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ने का संकेत देती हैं. इन पर बैठना स्थिरता या रुकावट का संकेत माना जाता है. धर्म कहता है — देव के पास आओ, ठहरो नहीं — जागो और आगे बढ़ो.
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3. शास्त्रीय अनुशासन (Why Not To Sit On Temple Stairs)
धर्मशास्त्रों में मंदिर में प्रवेश की मर्यादा स्पष्ट रूप से बताई गई है. सीढ़ियों को पवित्र स्थान माना गया है क्योंकि इन्हीं के माध्यम से श्रद्धालु भगवान के दर्शन हेतु आगे बढ़ते हैं. इसलिए इन पर बैठना अपवित्रता या असम्मान का प्रतीक माना जाता है.
4. सामाजिक और व्यावहारिक कारण (Why Not To Sit On Temple Stairs)
भीड़-भाड़ वाले स्थानों में सीढ़ियों पर बैठने से अन्य लोगों को आने-जाने में असुविधा होती है. यह अव्यवस्था और असंतुलन का कारण भी बन सकता है.
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