रायपुर। ये स्टोरी उनके लिए है जो अपने जीवन को उद्देश्यपूर्ण तरीके से जीना चाहते हैं, ये स्टोरी उनके लिए जो अपने लक्ष्य के प्रति निरंतर अग्रसर रहना चाहते हैं, ये स्टोरी उनके लिए जो हिन्दुत्व के काम-काज में लगे है, ये स्टोरी उनके लिए है जो समाज के लिए कुछ कर गुजरना चाहते हैं और ये स्टोरी उनके लिए है जो कारोबार में रहकर भी सरोकार करना चाहते हैं। पढ़िए राजधानी रायपुर के एक बड़े कारोबारी की एक ऐसी कहानी जिसे वे सब पढ़ना चाहेंगे जो विश्व हिंदु परिषद के बारे में जानना चाहते हैं, जो अयोध्या आंदोलन को जानना चाहते हैं, जो जानना चाहते हैं. जी हां बात हो रही है विश्व हिंदु परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ. रमेश छगन भाई मोदी की।
सौम्य, सहज-सरल लेकिन विराट व्यक्तित्व के धनी रमेश मोदी के लिए पता नहीं 27 अगस्त का दिन कितना महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके माता-पिता, उनके चाहने वाले और उस समाज के लिए 27 अगस्त का दिन बेहद खास है और हमेशा रहेगा। क्योंकि 27 अगस्त की यही वो तारीख है जब रमेश मोदी ने जन्म लिया था। 27 अगस्त सन् 1941 को रमेश मोदी का जन्म हुआ। रमेश मोदी के पिता का छगन मोदी और माता का नाम प्रीति मोदी है। रमेश मोदी के दो पुत्र आकाश और क्षितिज है। दोनों ही पिता की तरह कारोबार में सफल है और पिता को सहयोग भी कर रहे हैं। चार भाई और छह बहनों में सबसे छोटे रमेश मोदी का परिवार जितना समृद्ध है उससे कही अधिक समृद्ध उनका सामाजिक जीवन समृद्ध है।
रमेश मोदी ने 27 अगस्त 2017 को अपने जीवन के सफल-स्वस्थ्य 75 वर्ष पूरे किए। उनके इस खास दिन को सबसे यादगार दिन बनाने के लिए उनके प्रियजनों ने रायपुर के इंडोर स्टेडियम में एक महोत्सव का आयोजन किया। और इसे नाम दिया गया “अमृत महोत्सव”। इस महोत्सव में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर कार्यवाह सुरेश सोनी, विश्व हिन्दु परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया, सांसद रमेश बैस सहित दर्जनों नेता और सैकड़ों चाहने वाले मौजूद रहें।
रमेश मोदी बचपन से हिंदुत्व को लेकर मुखर-प्रखर रहे है। रमेश मोदी अध्ययन के दौरान ही छात्र हितों को लेकर, सामाज और धर्म को लेकर ही सजग और गंभीर रहे है। उन्होंने बीच में ही अध्ययन छोड़ अपने व्यवसाय से जुड़ गए और इसी दौरान विश्व हिंदु परिषद से भी। विहिप के कार्यकर्ता से लेकर कई पदों पर कार्य करते हुए रमेश मोदी वर्तमान विहिप के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष है।
अमृत महोत्सव में बोलते हुए रमेश मोदी ने कहा कि जन्मदिन आता है तो मैं सोचता हूँ कि मैंने पिछले जन्मदिन में क्या तय किया था और क्या किया। जब मैं छोटा था तो मां गर्म रोटी खिलाती थी और कहती थी बासी खिला रही हूँ। संघ से मुझे बहुत सी चीजें सीखनी मिली। वे बताते हैं कि सन् 1959 में रायपुर के गॉस मेमोरियल ग्राउंड में एक कांड हुआ था। दरअसल वहां भगवान कृष्ण की प्रतिमा को लेकर एक ड्रामा होना था, तब मैं कॉलेज में था। तय किया इसका विरोध होना चाहिए। मैंने एक रिक्शा बुलाई और भीड़ की भीड़ खड़ी हो गई। कर्फ्यू लग गया, गोली चली, लेकिन भीड़ नही हटी। फिर मैंने पेट्रोल पंप से पेट्रोल, भरा बाजू में लायब्रेरी थी मैंने पत्थर फेंककर मैदान में आग लगा दी।
मेरे मन में हमेशा वासुदेव कुटुंकम की भावना रही, कोई पराया नही की भावना के साथ काम किया। सेवा का यज्ञ प्रारंभ किया। और ये तय किया “ऐसा मत सोचो कि सारे लोग मेरे साथ चले ये जरूर सोचो सबके साथ तुम चलो”। रमेश मोदी को एेतिहासिक एवं पर्यटन स्थलों पर घुमना बेहद पसंद है। उन्हें समाज सेवा कार्य के लिए देश का सबसे बड़ा पुरस्कार दानवीर भामाशाह राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने दिया था।
रमेश मोदी से जुड़े कई दिलचस्प किस्से है। इन किस्सों को नेताओं ने अमृत महोत्सव में साझा किए-
महापौर के लिए नाम ढूंढ रहे थे और मोदी जी कलकत्ता भाग गए थे- डॉ रमन सिंह, मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कहते हैं रमेश मोदी वो व्यक्ति जिन्हें खामोशी के साथ काम करना पसंद है। लेकिन ऐसे व्यक्ति की पहचान ऐसे आयोजन से ही होते है। सरगुजा से लेकर बस्तर तक हजारों कार्यकर्ता आये ये मोदी जी के विनम्र और प्रिय व्यक्तित्व का प्रभाव है भला इससे बढ़कर किसी के लिए और क्या हो सकता है। 76 साल का इतना स्मार्ट आदमी नहीं देखा, मैं इनको बुजुर्ग नहीं कहता। हम सबसे ज्यादा चुस्त दुरुस्त रहते है, बाल सफेद हो गया, लेकिन उत्साह कम नही है। इतने लंबे समय से समाज के क्षेत्र में काम करने वाला व्यक्ति को देखकर लगता है कि कब सरकार के साथ भागीदारी हो जाए। ऐसा ही एक प्रयास हमने किया था जब महापौर के लिए रायपुर में नाम ढूंढ रहे थे, तो उनसे अच्छा विलकप कोई नही हो सकता। लेकिन उन्हें इसकी जानकारी होते ही वे कलक्ता भाग गए। हम सब फोन करते रहे हैं लेकिन उन्होंने 5 बजे तक फोन नही उठाया, 5 बजे काल आया तो पूछा बताओ मैं यदि सांसद, विधायक बन गया तो मेरा अस्पताल कौन देखेगा ?
पुरस्कार के लिए चयन हुआ तो उन्हें मनाने के लिए घर जाना पड़ा। ये मोदी जी का सम्मान नही है लाखों कार्यकर्ताओं का सम्मान है। ये मोदी जी का नही सेवा के संस्कारों का अमृत महोत्सव है। सरल स्वभाव को हर कोई जानता है। यदि ये बिना बताए ये सीएम हाउस आते है तो डर लगता है कि क्या मांगने आये है, मैं समझ जाता हूँ कोई डायलिसिस मशीन की जरूरत है। छात्रावास के लिए कोई कमरा बनाना होगा। अपने व्यापार के लिए कभी नही आये. उनका परिवार जितना बड़ा है मैं नही समझता किसी और का होगा
इस दुनिया में एक व्यक्ति का जीवन धन्य कब होता है, लोग कहते है जब उनके पास ये 6 चीजें होती है- स्वास्थ्य काया, आज्ञाकारी पुत्र, मा पिता का आशीर्वाद, दोस्तों का प्यार, अनुशासन, और उदारता। यही सब रमेश मोदी जी में है।
जीवन सफल हुआ या नही ये महत्व रखता है। आदमी कोशिश करता है कि जीवन सफल हो ये बहुत मायने नही रखता। मायने ये रखता है कि जीवन सार्थक हो। रावण सीता का अपहरण करने में सफल हुआ, लेकिन उस सफल को कोई अच्छी नजर से नही देखता। जटायु की विफलता को जीवन मे सर्वस्व लगाने की पहल के तौर पर देखते है, सार्थके जीवन के जितने उदाहरण समाज मे होंगे समाज उतना ही मजबूत होगा। सतयुग ला सकते है, लेकिन धर्म को चार पैर पर खड़ा करना होगा। इन सबके बीच अगर हम रमेश भाई मोदी को देखते हैं तो लगता सार्थक जीवन के पूर्ण उदाहरण है। आज समाज की संवेदनशीलता कम हो गई है। बड़े-बड़े परिवार टूट रहे है, विजयपथ सिंघानिया का उदाहरण हमारे सामने है, हजारों करोड़ की संपत्ति होने के बाद भी परिवार टूट गया। परिवारभाव ने पशु, पक्षी, नक्षत्र हर चीज के साथ जोड़ दिया। हर घर मे गाय को रोटी देते है, पानी का पात्र टांग देते है ये चिंता है। भोजन के पहले गृहस्त बाहर निकलकर आवाज लगाता था कोई भूखा तो नही है। रमेश मोदी के जीवन के अनेक गुणों का वर्णन किया गया। उन्होंने अपने निजी परिवार को एक रखा। और इसके साथ ही पूरे समाज को जोड़ लिया। उनका जीवन आज हम सबको चिंतन के लिए बाध्य कर रहा है, एक व्यक्ति अपने कई रूपों में जी सकता है ऐसी ही इंद्रधनुषी छटा रमेश मोदी के रूप में हमारे सामने है। चिंतन करने की जरूरत है। भारत का हर व्यक्ति ऐसी चितन करता है तो आने वाले वर्षों में सुखी, सम्बल, चरित्र निर्माण के साथ महान भारत खड़ा कर सकता है।
मुझे याद है कि मोदी के जीवन में अगर कुछ दिखता तो एक बेहद शांत स्वभाव के कारोबारी। लेकिन मोदी जी के वे कार्य बहुत कम ही सामने आते हैं जिसमें वे समाज सेवा के लिए चुपचाप बड़े काम करते जा रहे हैं। उन्होंने ने धर्मांतरण रोकने के लिए बहुत बड़ा प्रयास किया है। यही नहीं वे अनके तरह के आंदोलन से जुड़े रहे, लेकिन उन्होंने अयोध्या आंदोलन में भी अपनी बेहद अहम भूमिका निभाई है।