दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) ने प्रियदर्शिनी मट्टू मामले (Priyadarshini Mattoo murder case) में दोषी की समयपूर्व रिहाई की याचिका खारिज करने करने वाले दिल्ली सरकार के सेंटेंस रिव्यू बोर्ड (SRB) के निर्णय को पलट दिया है. संतोष कुमार सिंह, जो 1996 में कानून की छात्रा प्रियदर्शिनी मट्टू के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने संतोष के व्यवहार में सुधार के कुछ संकेतों की पहचान की और SRB को इस मामले पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है.

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कोर्ट ने तय की समयसीमा, दिए दिशानिर्देश

जस्टिस नरूला ने अपने निर्णय में कहा कि यह एक महत्वपूर्ण फैसला है और उन्होंने कुछ दिशानिर्देश भी निर्धारित किए हैं. संतोष कुमार सिंह के मामले में उनके व्यवहार में सुधार के संकेत दिखाई दिए हैं. इसलिए, SRB के निर्णय को रद्द करते हुए, उन्होंने मामले को पुनर्विचार के लिए भेजने का निर्णय लिया है. अदालत ने इस प्रक्रिया के लिए एक स्पष्ट समयसीमा भी निर्धारित की है, जिसका पालन SRB को करना होगा.

संतोष कुमार सिंह ने 2023 में एक याचिका दायर कर दिल्ली जेलों की सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) द्वारा 21 अक्टूबर, 2021 को की गई उस सिफारिश को रद्द करने की मांग की, जिसमें उनकी समय पूर्व रिहाई को अस्वीकृत किया गया था। सिंह के वरिष्ठ वकील मोहित माथुर ने अदालत में यह तर्क प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और वह 25 वर्षों से अधिक समय से जेल में हैं, जिसमें छूट भी शामिल है.

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क्या है मामला?

प्रियदर्शिनी मट्टू, जो 25 वर्ष की थीं, का जनवरी 1996 में बलात्कार और हत्या कर दिया गया था. इस मामले में संतोष कुमार सिंह, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून के छात्र थे, को 3 दिसंबर 1999 को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 अक्टूबर 2006 को इस निर्णय को पलटते हुए उन्हें बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया और मृत्युदंड की सजा सुनाई. संतोष कुमार सिंह, जो एक पूर्व आईपीएस अधिकारी के पुत्र हैं, ने इस सजा के खिलाफ अपील की. अंततः, अक्टूबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया.