पटना। बिहार की राजधानी पटना एक बार फिर गोलियों की गूंज से दहल उठी। इस बार निशाना बने राज्य के प्रसिद्ध और बहुचर्चित व्यवसायी गोपाल खेमका, जिनकी रविवार देर रात हत्या कर दी गई। राजधानी के गांधी मैदान थाना क्षेत्र में स्थित उनके अपार्टमेंट के बाहर बाइक सवार अपराधियों ने उनके सिर में नजदीक से गोली मार दी और बेखौफ हथियार लहराते हुए फरार हो गए। इस नृशंस वारदात ने न केवल खेमका परिवार को झकझोर दिया है, बल्कि पूरे कारोबारी समुदाय को भी दहशत में डाल दिया है।
अपराधियों ने सरेआम मारी गोली, पुलिस नदारद
घटना उस वक्त हुई जब गोपाल खेमका बांकीपुर क्लब से लौटकर अपनी कार से उतर रहे थे। वे जैसे ही गांधी मैदान स्थित ट्विन टावर अपार्टमेंट के बाहर पहुंचे, घात लगाए बैठे दो बाइक सवार अपराधियों ने उनकी कनपटी पर सटाकर गोली मार दी। गोली लगते ही वे ज़मीन पर गिर पड़े। परिजन और स्थानीय लोग उन्हें गंभीर अवस्था में कंकड़बाग स्थित मॉडिवर्सल अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
अस्पताल में जमकर हंगामा
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि यह वारदात गांधी मैदान थाना से महज 500 मीटर की दूरी पर हुई, फिर भी पुलिस डेढ़ घंटे तक मौके पर नहीं पहुंची। इस लापरवाही पर परिजनों और व्यापारियों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए।
कारोबारी वर्ग में आक्रोश, सुरक्षा को लेकर चिंता
गोपाल खेमका की हत्या से पटना का कारोबारी वर्ग गहरे सदमे में है। अस्पताल और उनके घर पर बड़ी संख्या में व्यापारी और उद्योगपति जुटे और पुलिस से सुरक्षा बढ़ाने और जल्द से जल्द हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। परिजनों ने आरोप लगाया कि पटना पुलिस आम नागरिकों और व्यापारियों की सुरक्षा करने के बजाय केवल शराब तस्करों की धरपकड़ और चेकिंग के नाम पर वसूली में लगी रहती है।
कौन थे गोपाल खेमका?
गोपाल खेमका बिहार के प्रमुख उद्योगपतियों में गिने जाते थे। वे पटना के चर्चित मगध हॉस्पिटल के मालिक थे। इसके अलावा उनके पास दवा दुकानों की श्रृंखला, हाजीपुर में गत्ता फैक्ट्रियां, पटना में पेट्रोल पंप, और अन्य औद्योगिक इकाइयां थीं। व्यवसायिक क्षेत्र में उनकी प्रतिष्ठा और प्रभाव काफी था।
पहले भी बेटा बना था अपराध का शिकार
यह पहली बार नहीं है जब खेमका परिवार पर ऐसी आपराधिक वारदात हुई हो। दिसंबर 2018 में गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की भी हाजीपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त वे इंडस्ट्रियल एरिया में अपनी फैक्ट्री जा रहे थे। उन्हें चार गोलियां मारी गई थीं और उस घटना की गुत्थी आज तक पूरी तरह नहीं सुलझ पाई। अब छह साल बाद पिता की हत्या ने पूरे परिवार को फिर से उसी त्रासदी में धकेल दिया है।
प्रशासन पर सवाल, जांच तेज
हत्या की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मामले की जांच तेज कर दी है। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और आसपास के इलाकों में नाका बंदी कर दी गई है। लेकिन पुलिस की देरी से प्रतिक्रिया, अपराधियों का बेखौफ अंदाज, और सुरक्षा व्यवस्था की पोल ने एक बार फिर पटना की कानून व्यवस्था को कटघरे में ला खड़ा किया है।
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