BOMBAY HIGH COURT On Abu Salem: आतंकी और गैंगस्टर अबु सलेम को बॉम्बे हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। अबु सलेम ने समय से पहले रिहाई की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। सलेम ने दावा किया था कि वह पहले ही निर्धारित सजा की अवधि पूरी कर चुका है। 1993 सीरियल ब्लास्ट में उम्रकैद की सजा काट रहे सलेम के वकीलों ने रिहाई के लिए ऐसी तिकड़म लगाई। इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने सारी हेकड़ी ऐसे निकाली की उसकी होशियारी धरी की धरी रह गई।

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बता दें कि अबु सलेम 1993 सीरियल ब्लास्ट में उम्रकैद की सजा काट रहा है। वह बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या का भी दोषी है। उसे वर्ष 2005 में पुर्तगाल से प्रत्य़ार्पण कर भारता लाया गया था।

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दरअसल गैंगस्टर अबु सलेम ने अदालत को बताया था कि जब उसे प्रत्यर्पित किया गया था तो भारत सरकार ने पुर्तगाल को आश्वासन दिया था कि उसे 25 साल से ज्यादा की सजा नहीं दी जाएगीय़ इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि उसे 2030 तक की सजा ही दी जा सकती है। सलेम के वकील ऋषि मल्होत्रा ​​और फरहाना शाह ने दलील दी कि उसने (अबु सलेम) अच्छे आचरण के लिए तीन साल और 16 दिन की छूट अर्जित की है। साथ ही पुर्तगाल में हिरासत में बिताए गए समय के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई एक महीने की छूट भी अर्जित की है। उन्होंने दावा किया कि उसकी कुल सजा अवधि को 25 साल से अधिक कर दिया, जिससे वह रिहाई के योग्य हो गया है।

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सीबीआई ने दी य़े दलील

इसका CBI ने कड़ा विरोध किया। सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि सलेम 25 साल की सीमा को पूरा करने के लिए गणनाओं में गड़बड़ी कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सलेम को लगता है कि उसके पिछले आदेश का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है तो उसे स्पष्टीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।

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कोर्ट को आया गुस्सा

सलेम के वकील ऋषि मल्होत्रा ​​ने जब जोर देकर कहा, 2030 की समयसीमा में छूट अवधि को शामिल नहीं किया गया है, तो पीठ ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, क्या आप यह कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश गलत है। साधारण तर्क लागू करने पर भी 25 साल अभी पूरे होने बाकी हैं। न्यायमूर्ति ए.एस.गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश एस.पाटिल की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, गिरफ्तारी की तारीख 12 अक्टूबर 2005 दर्ज है। 25 साल की कैद पूरी होने पर केंद्र सरकार आवेदक को छूट देने और रिहा करने की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए बाध्य है। प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि 25 साल की कैद अभी पूरी नहीं हुई है। अदालत ने सलेम की याचिका स्वीकार कर ली और त्वरित सुनवाई के लिए सहमत हो गई, लेकिन कोई तारीख तय नहीं की गई।

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सितंबर 2017 में ठहराया था दोषी

बता दें कि सितंबर 2017 में सलेम को मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में दोषी ठहराया गया था। उससे दो साल पहले 2015 में सलेम मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की 1995 में हुई हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 11 जुलाई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए बाध्य है कि वह सलेम को जेल में 25 साल पूरे होने के बाद रिहा करने के लिए अपनी छूट की शक्तियों का प्रयोग करें। हालांकि, अदालत ने उस पर लगाई गई सजा को कम करने या सीमित करने के लिए कोई विशेष विशेषाधिकार देने से इनकार कर दिया था।

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