अमित पांडेय, डोंगरगढ़। डोंगरगढ़ के खालसा पब्लिक स्कूल में 13 साल के छात्र सार्थक सहारे की जिंदगी उसकी कक्षा में टीचर के थप्पड़ों से पलट गई। टीचर प्रियंका सिंह ने मामूली सी बात पर सातवीं के छात्र सार्थक को 3-4 थप्पड़ मारे, जिससे उसके दोनों कानों की नसें क्षतिग्रस्त हो गईं और सुनने की ताकत कमजोर पड़ गई।

जानकारी के अनुसार छात्र का इलाज रायपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। पीड़ित छात्र के पिता सुधाकर सहारे ने बताया कि उनके बेटे का का दायां कान 70% और बायां कान 80% खराब हो गया है। वहीं उसकी सुनने की क्षमता 76.6 dBHL पर आ गई है, जो गंभीर हियरिंग लॉस की स्थिति है। रोज 2500 रुपए खर्च लगता है और हर चार दिन में रायपुर में ऑक्सीजन थेरेपी और इलाज के लिए जाना पड़ रहा है। इलाज का खर्च और बेटे की हालत ने परिवार की कमर तोड़ दी है।

डॉक्टर ने की सार्थक की सुनने की क्षमता में कमी की पुष्टि

13 साल के सार्थक साहारे का इलाज कर रहे डॉ. अनुज जाऊलकर ने बताया कि सार्थक को स्कूल में शिक्षक द्वारा थप्पड़ मारने के बाद दोनों कानों से सुनाई देना कम हो गया। जांच में कान की नसों में चोट (Post-traumatic Sensorineural Hearing Loss) पाई गई, जिससे सुनने की शक्ति 76 dB तक कम हो गई है। यह सुनने की क्षमता में मध्यम से गंभीर कमी मानी जाती है। हमने इलाज में ऑक्सीजन थेरेपी (HBOT) और कान में स्टेरॉयड डालकर इलाज शुरू करने की सलाह दी है, ताकि नसों की कार्य क्षमता वापस लाई जा सके। समय पर इलाज बहुत जरूरी है ताकि सुनने की क्षमता बचाई जा सके।”

स्कूल में बवाल, सस्पेंशन पर भी परिजन नाराज

मामला तूल पकड़ने पर स्कूल प्रबंधन के अध्यक्ष हरजीत सिंह अरोरा ने आरोपी टीचर प्रियंका सिंह को सस्पेंड कर दिया, लेकिन परिजन और समाज के लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा है कि आरोपी टीचर को नौकरी से बर्खास्त किया जाए ताकि भविष्य में कोई और बच्चा इस तरह की हैवानियत का शिकार न हो।

टीचर के खिलाफ FIR दर्ज कराने की तैयारी

सूत्रों के अनुसार, पीड़ित परिवार और समाज के लोग अब इस मामले में डोंगरगढ़ थाने में एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी में हैं। परिजनों का कहना है कि सिर्फ सस्पेंशन से बात नहीं बनेगी, आरोपी पर कड़ी कानूनी कार्रवाई जरूरी है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

जिस स्कूल को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है, वहीं पर मासूम छात्र की सुनने की ताकत छीन लेना पूरे शिक्षा तंत्र पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या बच्चों को स्कूल में सुरक्षा मिल रही है या एक टीचर की हैवानियत उनके भविष्य को तबाह कर दे रही है? अब देखना होगा कि हरजीत सिंह अरोरा की अगुवाई में स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग इस मामले में कितनी तेजी और सख्ती दिखाता है। वहीं पीड़ित परिवार और समाज अब इंसाफ की लड़ाई में सड़क से लेकर थाने तक उतरने को तैयार है।

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