प्रतीक चौहान. आरोग्य मैत्री प्रोजेक्ट के तहत दुनिया का पहला पोर्टेबल अस्पताल तैयार किया गया है. ये पोर्टेबल हॉस्पिटल दुर्गम जगहों पर प्राकृतिक आपदा में 200 जिंदगियां बचा सकता है. 200 लोगों की क्षमता वाले इस पोर्टेबल हॉस्पिटल में दो पैलेट स्टैंड हैं. इसका कुल वजन 800 किलोग्राम है. दोनों पैलेट में 72 क्यूब हैं. हर क्यूब का वजन 20 किलोग्राम है. ये क्यूब फायर और वाटर प्रूफ हैं. इसे हवाई, जल या फिर सड़क किसी भी मार्ग से ले जा सकते हैं. दुर्गम जगह और प्राकृतिक आपदा में क्यूब को अलग-अलग करके पैदल, साइकिल या किसी भी छोटे वाहन से भी ले जा सकते हैं. यानी सीधे तौर पर आप इसे चलता फिरता अस्पताल कह सकते है. अब ये अस्पताल रायपुर एम्स में पहुंच गया है और ये कैसे काम करता है इसको लेकर अवेयरनेस अभियान चलाया जाएगा और यहां पहुंचने के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इसका उद्घाटन किया.

क्या है इसके फायदे

अलग अलग क्यूब में अलग-अलग सामान होगा. किसी में रेस्क्यू का सामान होगा. रेस्क्यू सामान में स्ट्रेचर, बेड और जरूरत की चीजें होंगी. किसी क्यूब में सर्जरी का सामान होगा, उसमें ओटी का सामान और उससे जुड़े उपकरण होंगे. किसी में लैबोरेट्री का सामान होगा. इस लैब में 20 तरह के टेस्ट हो सकते हैं. इसमें एक्सरेमशीन भी है, ये मशीन कुछ सेकेंड में एक्सरे कर देती है.

नई तकनीक से लैस

आरोग्य मैत्री के BHISM प्रोजेक्ट के तहत इस हॉस्पिटल को तैयार किया गया है. इसके सभी क्यूब BHISM एप से जुड़े हैं. इस पोर्टेबल हॉस्पिटल में स्कैनर और टैबलेट भी हैं. स्कैन करने पर पता चल जाता है कि किस क्यूब में कौन-कौन सा सामान है. पोर्टेबल हॉस्पिटल में सोलर पैनल और जेन सेट भी है, ताकि अगर पावर सप्लाई नहीं है तो भी कोई दिक्कत न हो.

ये इलाज मिलेंगे

बुलेट इंजरी, स्पाइनल, चेस्ट और लिंब इंजरी के साथ ही बर्न और स्नेक बाइट के मरीजों का भी इलाज हो सकता है. इस पोर्टेबल हॉस्पिटल में एक साथ 200 मरीजों का इलाज किया जा सकता है.

सबने मिलकर तैयार किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर आरोग्य मैत्री प्रोजेक्ट और कई मिनिस्ट्री हेल्थ मिनिस्ट्री, डिफेंस मिनिस्ट्री और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने मिलकर इस पोर्टेबल हॉस्पिटल को तैयार किया है.