कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित मढ़ई मस्जिद का विवाद लगातार गहराता जा रहा है। हिंदूवादी संगठनों ने अवैध निर्माण बताते हुए आंदोलन का ऐलान किया है। हिंदू संगठनों ने मस्जिद के पास प्रदर्शन किया। साथ ही प्रशासन पर भेदभाव पूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाते हुए कलेक्टर का अर्थी जुलूस निकालकर हटाने की मांग की है। वहीं 16 जुलाई को जबलपुर बंद करने का ऐलान भी किया है।
जबलपुर के रांझी में स्थित मड़ई मस्जिद का मामला गर्माता जा रहा है। दरअसल, विश्व हिंदू परिषद-बजरंग दल ने बाल गायत्री मंदिर की जमीन पर मड़ई मस्जिद के निर्माण का आरोप लगाया था। प्रशासन की ओर मस्जिद कमेटी को क्लीन चिट दिए जाने पर गुस्सा भड़क गया। सोमवार को मड़ई मस्जिद के पास हिंदूवादी संगठनों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रशासन पर भेदभाव पूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाया और कलेक्टर का अर्थी जुलूस निकालकर विरोध जताया। पुलिस ने प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया।
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कलेक्टर के फेसबुक पर की गई थी ये पोस्ट
एक दिन पहले ही कलेक्टर के फेसबुक पर मस्जिद के निर्माण संबंधी वस्तुस्थिति पोस्ट की गई थी। जिसमें मस्जिद के द्वारा किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण न पाए जाने की जानकारी दी गई थी। हिंदूवादी संगठनों के नेताओं ने प्रशासन पर एक तरफा फैसला सुनाने का आरोप लगाया है। प्रशासन के फैसले पर विश्व हिंदू परिषद-बजरंग दल ने ऐतराज जताया है।

कलेक्टर को हटाने की मांग, 16 जुलाई को बंद का आह्वान
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता कलेक्टर दीपक सक्सेना को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं। हिंदूवादी संगठनों ने कलेक्टर को हटाने तक आंदोलन चलाने का ऐलान किया है। वहीं 16 जुलाई को जबलपुर बंद का आह्वान करने का ऐलान भी किया है।
हिंदूवादी संगठनों की दलील
हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि वक्फ बोर्ड के नाम पर मात्र 1000 वर्ग फुट भूमि का आवंटन है। जबकि मस्जिद का निर्माण 3000 वर्ग फुट की जमीन पर अवैध रूप से किया गया है। संगठनों ने मस्जिद की आड़ में अवैध मदरसे संचालन करने का आरोप लगाया है। मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में केस दायर किया था, लेकिन दस्तावेज न होने के कारण प्रकरण वापिस ले लिया गया। बाल गायत्री मंदिर के खसरा नंबर 169 की जमीन पर मस्जिद का निर्माण किया गया है।
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मस्जिद कमेटी का दावा
मस्जिद कमेटी ने दावा किया है कि यह जमीन 1973 में खरीदी गई थी। जमीन खरीदने के बाद इसे वक्फ किया गया था। 1985 में मस्जिद बनकर तैयार हुई थी। हिंदूवादी संगठन के पास कोई भी जमीन का दस्तावेज नहीं है। मंदिर ट्रस्ट की जमीन होने का दावा झूठ है। एसडीएम कोर्ट में मस्जिद के निर्माण पर रोक लगाई थी। रोक हटाने के लिए मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
जिला प्रशासन ने स्थिति की साफ
जिला प्रशासन के मुताबिक, मस्जिद के जमीन के बटांक और खसरों में गड़बड़ी के चलते भ्रम की स्थिति बनी।खसरों में सुधार के लिए कलेक्टर न्यायालय में पहले से ही मामला चल रहा है। वहीं प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को उचित जांच का भरोसा दिया है।
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